भोसरी विधानसभा क्षेत्र में औसतन 58.54% वोटिंग दर्ज

पिंपरी। पुणेसमाचार ऑनलाइन –  नाटकीय सियासी दांवपेंचों के बाद एक- दूसरे पर कीचड़ उछालने के दौर से चर्चा के घेरे में रहे भोसरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र में सोमवार की शाम छह बजे तक औसतन 58.94 फीसदी मतदान दर्ज हुआ है। 2014 के विधानसभा चुनाव में यहां 60.89 फीसदी मतदान हुआ था। हालांकि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतारें देर शाम तक लगी रही। इस चुनाव क्षेत्र में भाजपा के मौजूदा विधायक महेश लांडगे और राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा समर्थित प्रत्याशी व भूतपूर्व विधायक विलास लांडे समेत कुल 12 प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में कैद हो गया।

भोसरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार पुनः मौजूदा और निवर्तमान विधायकों के बीच सियासी कुश्ती छिड़ी रही। रिश्ते में ससुर- दामाद रहे भाजपा के विधायक महेश लांडगे और राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा समर्थित प्रत्याशी भूतपूर्व विधायक विलास लांडे की इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। आज सुबह सात बजे मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई। यहां सुबह से मतदान को लेकर लोगों का उत्साह नजर आया। सुबह नौ बजे तक पहले दो घंटे में 5.11 फीसदी वोटिंग दर्ज हुई। इसके बाद 11 बजे तक 13.83 और दोपहर एक बजे तक इसका प्रमाण 26.52 फीसदी तक पहुंच गया। तीन बजे तक दर्ज हुआ 39.82 फीसदी मतदान बाद में तेजी से बढ़ा। पांच बजे तक 52.12 फीसदी और शाम छह बजे तक 58.94 फीसदी वोटिंग दर्ज हुई। हालांकि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतारें इसके बाद भी लगी रही।

नई संरचना के बाद 2009 में अस्तित्व में आए भोसरी विधानसभा क्षेत्र से पहले विधायक चुने जाने का बहुमान राष्ट्रवादी कांग्रेस के विलास लांडे को मिला। इससे पहले जब पिंपरी चिंचवड़ शहर हवेली विधानसभा चुनाव क्षेत्र में शामिल था तब लांडे राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से विधायक चुने गए। 2014 में मात्र उन्हें हैट्रिक करने से उन्हीं की बहन के दामाद रहे महेश लांडगे ने पटखनी दी। लांडगे ने लांडे विरोधी सभी दलों के नेताओं, ग्रामीणों को एकजुट कर चुनाव के मैदान में 60 हजार 173 वोट पाकर बाजी मारी थी। शिवसेना की सुलभा उबाले 44 हजार 857 वोट मिलने से दूसरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के विलास लांडे 44 हजार 211 वोट मिलने से तीसरे और भाजपा की ओर से एकनाथ पवार 43 हजार 626 वोट पाकर चौथे नम्बर पर चले गए। बतौर निर्दलीय विधानसभा चुनाव जीतने के बाद महेश लांडगे भाजपा के सहयोगी विधायक बने।

नगरसेवक से महापौर और बाद में विधायक तक का मुकाम हासिल करने वाले विलास लांडे ने पिंपरी चिंचवड़ शहर की सियासत में एक चालाक और धूर्त राजनेता के तौर पर परिचित हैं। उनके सियासी दांवपेंचों को आज तक कोई भांप नहीं पाया है। इस बार तो उन्होंने पहले विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ने की घोषणा की थी। बाद में शिवसेना से टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन ऐन मौके पर भाजपा- शिवसेना की महायुति हुई और उनकी कोशिशें नाकाम रही। तब लग रहा था कि वे राष्ट्रवादी की ओर से मैदान में उतरेंगे मगर बाद में बतौर निर्दलीय के मैदान में उतरे। उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का समर्थन मिला है। चुनाव के मैदान में आखिरी क्षण में उतरने के बाद भी लांडे ने विधायक लांडगे के समक्ष कड़ी चुनौती खड़ी की है। ‘मेरे सामने कोई पहलवान ही नहीं खड़ा हो सका’, यह भीम गर्जना करनेवाले लांडगे और उनके समर्थकों को बाद में काफी पसीना बहाना पड़ा। लांडे ने भ्रष्टाचार, दादागिरी, दहशतगर्दी को चुनाव का मुद्दा बनाकर भयमुक्त भोसरी के निर्माण का भरोसा दिलाया। वहीं लांडगे ने ‘पॉलिटिक्स विथ रेस्पेक्ट’ की नीति अपना कर सहानुभूति बंटोरी। हालांकि आखिरी सभा में उन्होंने हर उस आरोप का जवाब देने की भरसक कोशिश की जो लांडे और उनके समर्थकों ने लगाए थे। अब भोसरी की जनता कल किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा।