पुणे। समाचार ऑनलाइन
साल के पहले ही दिन पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में जिन पांच लोगों की गिरफ्तारियां विवादों में घिरी है, उस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई होने जा रही है। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इन कार्यकर्ताओं को नजरबंद (हाऊस अरेस्ट) रखा जाए या पुलिस हिरासत में भेजा जाए? दरअसल, पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उपलब्ध न होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर तक पांचों की हाउस अरेस्ट की अवधि बढ़ा दी थी।
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भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घंटों तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की गिरफ्तारी भी हुई है। इन सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है। जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं।
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महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कल ऐसा भी होगा कि किसी को गिरफ्तार किया जाए और उसके धर्म, समुदाय के लोग उसके हक में याचिका दायर करके राहत की मांग करने लगे। इस पर नाराज जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ ने कहा था कि पुणे पुलिस कैसे कह सकती है कि सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए।
कोर्ट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर पुलिस को फटकार भी लगाई थी। इससे पहले भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि गिरफ्तार किए गए पांचों एक्टिविस्ट समाज में अराजकता फैलाने की योजना बना रहे थे, पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं।
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राज्य सरकार ने कहा था कि एक्टिविस्ट को उनके सरकार के प्रति अलग सोच या विचारों की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है। उनके खिलाफ पक्के सबूत पुलिस के पास हैं, उन्हें पुलिस हिरासत में दिया जाना चाहिए। सरकार ने कहा था कि इस बात के सबूत पुलिस को मिले हैं कि पांचों एक्टिविस्ट प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्य हैं, ये न केवल देश मे हिंसा की योजना बना रहे थे, बल्कि इन्होंने बड़े पैमाने पर देश मे हिंसा और तोड़फोड़ व आगजनी करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। इससे साफ होता है कि, ये समाज मे अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते थे। इनके खिलाफ गंभीर अपराध का केस बनाया गया है। इनके पास से आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई है।