भीमा कोरेगांव…सुप्रीम कोर्ट में गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज  

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कथित एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। नवलखा ने अपनी याचिका में कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 90 दिन की तय अवधि में चार्जशीट नहीं दाखिल की, इसलिए उनकी जमानत का आधार बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च को NIA से नवलखा की जमानत याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें कहा गया था कि मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं किए जाने के कारण उन्हें जमानत दी जाए।

गौतम नवलखा के खिलाफ जनवरी 2020 में दोबारा FIR फाइल की गई थी और उन्होंने पिछले साल 14 अप्रैल को NIA के समक्ष सरेंडर कर दिया था। उन्हें 25 अप्रैल तक 11 दिनों के लिए NIA की हिरासत में रखा गया, जिसके बाद उन्हें नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नवलखा की 34 दिन के हाउस अरेस्ट को जेल में बिताई गई अवधि नहीं माना जा सकता।

गौतम नवलखा ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी। न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध नवलखा की अपील पर सुनवाई की। हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान नवलखा ने कहा था कि हाउस अरेस्ट की अवधि को  हिरासत अवधि के रूप में गिनी जानी चाहिए।  कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्हें पहले ही नजरबंद रखने के आदेश को अवैध घोषित किया जा चुका है और इसलिए इस गैर-कानूनी हिरासत को गिरफ्तारी की अवधि में नहीं जोड़ा जा सकता है।

पुलिस के आरोपों के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद कार्यक्रम में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिए थे, जिनके कारण अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी।