नक्कालों से सावधान…कोरोना को अवसर मानने वाले ‘मौत के सौदागर’ लूट रहे मरीजों को 

ऑनलाइन टीम. नई दिल्ली : जिंदगी की जद्दोजहद से जूझ रहे देश वासियों की बिलबिलाहट को कुछ लोग अवसर मानकर उसमें अपने हिस्से की तलाश करने से इस कोरोनाकाल में बाज नहीं आ रहे हैं। हर दिन रेमडेसेवियर की सुइयां अन्य नकली दवाइयां और उनके कारखाने पकड़े जा रहे हैं। देश के कई हिस्सों से बड़ी तादाद में नकली मास्क और सैनिटाइजर पकड़े जाने की खबरें आईं तो सरकार ने इन्हें अनिवार्य वस्तु कानून के तहत डाल दिया है ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिले, लेकिन यह खेल है कि रुक नहीं रहा। हर दिन हजारों नकली किट भी बन रही हैं।

ये लक्षण परेशान कर रहे हैं :

लोगों को बुखार और शरीर दर्द की परेशानियां आ रही हैं। ये लक्षण कोरोना से भी मिलते हैं। इसी कारण इन लक्षणों के मरीज घबरा रहे हैं और उनकी इस घबराहट का फायदा नकली दवाएं बनाने वाले उठा रहे हैं। कई ऐसे कोरोना के मरीज आए हैं जिन्हें सिर्फ गले में खराश या फिर दर्द की शिकायत थी।

डब्ल्यूएचओ ने भी जताई है आशंका : 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक सर्दी और जुकाम की ज्यादातर दवाइयां या तो नकली हैं या फिर घटिया हैं। पैसे कमाने के लालच में दुकानदार बड़े पैमाने पर इनकी बिक्री कर रहे हैं। कम दाम देखकर ग्राहक भी इनकी ओर आकर्षित होते हैं। जानी-मानी आर्थिक पत्रिका फोर्ब्स ने हाल के अंक में बताया है कि भारत में इस समय साढ़े पांच अरब डॉलर के नकली सामानों, खासकर कोरोना से संबंधित सामानों और दवाइयों का बाजार फल-फूल रहा है। विभिन्न राज्यों में करोड़ों रुपये के नकली सैनिटाइजर पकड़े गए हैं।

मानवता शर्मसार : 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनाकाल में ‘आपदा में अवसर’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मंत्र दिया था। भारत में कुछ लोगों ने उनकी इस सलाह का अपने हिसाब से मतलब निकालकर मानवता को शर्मसार करने वाले काम शुरू कर दिए हैं। कोरोना मरीजों के लिए जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर (Remdesivir) की कालाबाजारी और तस्करी के तमाम मामले सामने आ ही रहे थे, अब इन जीवनरक्षक इंजेक्शन की मार्केट में नकली खेप भी पहुंच चुकी है। रेमडेसिविर को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत इसकी कीमत है, जो इसकी कालाबाजारी को बढ़ने का मौका दे रही है। केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर के निर्यात पर बैन लगा दिया है, लेकिन फिर भी यह बाजारों से गायब है। मरीजों के रिश्तेदार रेमडेसिविर के लिए भटक रहे हैं और मरीज भगवान भरोसे हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं का हाल सबके सामने है। कहना गलत नहीं होगा कि भारत में कोविड मरीजों से पहले मानवता ने दम तोड़ दिया है।

हिम्मत से काम लें :

ऐसे में आप घर में गले की खराश या दर्द के स्ट्रेप्सिल्स की टैबलेट रख सकते हैं। साथ ही शहद का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। अगर इनके इस्तेमाल से लक्षणों में कमी आए तो ठीक अन्यथा फिर आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इसी तरह अगर घर में किसी को डायरिया जैसी दिक्कत हो तो ओआएस या इलेक्ट्रॉल पाउडर के पैकेट रखे जा सकते हैं। इन सबके बीच हमेशा खयाल रखें कि लक्षणों को गहराने न दें। अगर सामान्य उपचार से ये लक्षण थम रहे हैं तो ठीक अन्यथा तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।