पानी कम करने पर भड़के बारामतीकर

कहा, राजनीतिक द्वेष से किया फैसला
पुणे : समाचार ऑनलाईन – राज्य सरकार ने हाल ही में नीरा देवघर बांध से बारामती तालुका में किये जाने वाले पानी को कम कर सूखाग्रस्त इलाकों में मोड़ने का फैसला किया है। यह फैसला राष्ट्रवादी कांग्रेस के हाइकमान शरद पवार के लिए जोरदार झटका माना जा रहा है। वहीं बारामतीकरों ने इस फैसले पर आक्रामक रुख अपनाते हुए आंदोलन की भूमिका अपनाई है। एक सर्वदलीय बैठक में इस फैसले को राजनीतिक द्वेष से लिया गया फैसला करार देकर 20 जून से इसके खिलाफ आंदोलन करने का फैसला किया गया।
राज्य सरकार के फैसले से बारामती, इंदापुर, पुरंदर तालुका की खेती बाड़ी भी प्रभावित होगी। सरकार ने इसका विचार न कर पानी के मामले में भेदभाव की भूमिका अपनाई है। इस फैसले पर आक्रोश जताते हुए समन्याय तरीके से पानी वितरण करने की मांग इस बैठक में की गई। साथ ही इस मांग के लिए राजनीतिक चोला उतारकर संघर्ष करने का संकल्प किया गया।बारामती के नीरा कैनाल खरीदी बिक्री संघ में यह सर्वदलीय बैठक संपन्न हुई। इसमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के साथ ही भाजपा- शिवसेना के नेता भी शामिल हुए।
इस बैठक में शामिल किसानों ने सरकार की नीतियों पर कड़ी नाराजगी जताई और सरकार से अपने फैसले और पुनर्विचार करने की मांग की है। इस मांग के लिए 20 जून को प्रांताधिकारी और तहसिलदारों को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की शुरुआत करने का फैसला किया गया। इसकी जानकारी देते हुए सतीश काकडे ने दी। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के राजेन्द्र ढवाण ने कहा कि, राजनीतिक द्वेष से लिये गए इस फैसले से किसानों में आक्रोश व्याप्त है। इसके खिलाफ बारामती में चक्रीय अनशन किया जाएगा।
गत कुछ दिन से नीरा देवघर के पानी को लेकर संघर्ष शुरू है। इस बांध के कुछ काम अधूरे हैं ऐसे में अतिरिक्त पानी कहाँ दिया जाय? यह सवाल है। उसी में अब माढा और बारामती का संघर्ष शुरू हो गया है। अब बारामतीकरों ने इस मसले पर आक्रामक रुख अपनाए जाने से यह संघर्ष क्या रंग लेता है? इसकी उत्सुकता बढ़ गई है।