जनता का विश्वास अखंडित रखने के लिए बैंक सदैव प्रयासरत रहें

पुणे: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को पुणे में कहा कि देश की आर्थिक व्यवस्था में बैंकों का महत्व ध्यान में लेते हुए बैंकिंग नियमन कानून लागू कर दिया गया। सार्वजनिक पैसों के संरक्षक के तौर पर बैंकों की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। इसलिए बैंकों पर जनता का होनेवाला विश्वास अखंडित रहने के लिए बैंक सदैव प्रयासरत रहें।

नैशनल इन्स्टीटयूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट (एनआईबीएम) का स्वर्ण महोत्सवी समारोह राष्ट्रपति की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस समय उन्होंने कहा कि बैंक आर्थिक व्यवस्था की उन्नति के निदर्शक है। अपनी कार्यक्षमता के कारण बैंकों ने लाेगों का विश्वास हासिल किया है। देश के आर्थिक विकास को गति देने में बैंकों ने उत्कृष्ट कार्य किया है। आजादी के समय बैंकिंग क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उसके बाद इस क्षेत्र ने की हुई प्रगति संतोषजनक है। देश के अधिकतम गांवों में बैंकों की शाखाएं हैं।

इस क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए एनआईबीएम की स्थापना की गई। अनुसंधान, प्रशिक्षण, शिक्षा, तथा सलाह इस हेतु इस स्वायत्त संस्था की स्थापना की गई। संस्था के माध्यम से अधिकाधिक बैंकर्स प्रशिक्षित हुए हैं। संस्था में अनुसंधान के लिए बेहतर सुविधाएं है। इन सुविधाओं का उपयोग गरीब घटकों के लिए आर्थिक उत्पादन तैयार करने के लिए किया जाना चाहिए। आखिरकार देश की प्रगति गरीबों के सामूहिक आर्थिक सामर्थ्य के योगदान पर निर्भर है।

समारोह में राष्ट्रपति के हाथों एनआईबीएम संस्था की कार्य पुस्तिका तथा डाक टिकट का विमाेचन और बोधचिन्ह का अनावरण किया गया। इस समय राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविंद, राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी, परिवहन तथा संसदीय कार्यमंत्री एड. अनिल परब, रिझर्व बैंक ऑफ इंडिया गवर्नर शक्तीकांत दास, एनआईबीएम के निदेशक डॉ. के. एल. धिंग्रा, विभागीय आयुक्त डॉ. दीपक म्हैसेकर, जिलाधिकारी नवल किशोर राम, पुलिय आयुक्त डॉ . के. वेंकटेशम समेत विविध क्षेत्र के मान्यवर, गवर्निंग बोर्ड के सदस्य, विद्यार्थि, प्राध्यापक तथा अन्य कर्मचारी सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।