प्रसिद्ध निर्माणकार्य व्यावसायिक डी.एस.कुलकर्णी के खिलाफ डिपॉजिटर के साथ धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद पुणे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर दस्तावेज जब्त किए थे। उनके फॉरेन्सिक विश्लेषण करने पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र का तत्कालीन व्यवस्थापकीय संचालक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविंद्र मराठे, कार्यकारी संचालक राजेंद्रकुमार वेदप्रकाश गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष व प्रबंधकीय संचालक सुशील मुहनोत ने डीएसके को गैरकानूनी रुप कर्ज देने की बात सामने आयी थी। उसके बाद पुणे पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया था। तीनों को गिरफ्तार करने पर राज्यभर के बैकिंग संगठन ने विरोध किया था। पुणे पुलिस ने तुरंत युटर्न लेते हुए तीनों को इस केस से अलग करने की रिपोर्ट कोर्ट में दो महीने पहले प्रस्तुत किया था। उसके बाद दिलीप मुरुमकर ने तीनों को इस केस से अलग करने को लेकर मान्यता दी। बैंक अधिकारियों की ओर से एड. शैलेश म्हस्के और एड. हर्षद निंबालकर ने कार्य देखा।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के तत्कालीन प्रबंधकीय संचालक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविंद्र मराठे, कार्यकारी संचालक राजेंद्रकुमार वेद प्रकाश गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष व प्रबंधकीय संचालक सुशील मुहनोत को इस केस से अलग करने की रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। आज इस रिपोर्ट को कोर्ट ने मान्य किया है। लेकिन इसकी लिखित कॉपी अबतक हमें प्राप्त नहीं हुई है। ऐसी जानकारी आर्थिक क्राइम ब्रांच के सहायक पुलिस आयुक्त निलेश मोरे ने दी।