उद्योगनगरी में नए निर्माणकार्यों की अनुमति पर लगे रोक

पिंपरी। संवाददाता : पवना बांध के लबालब रहने के बावजूद पिंपरी चिंचवड़ शहर में पानी की किल्लत बनी हुई है। आये दिन शहर में जारी सप्ताह में एक दिन की कटौती रद्द करने की मांग जोर पकड़ रही है। हालांकि सत्तादल भाजपा और मनपा प्रशासन कटौती रद्द करने के मूड में नजर नहीं आ रहे। उल्टे पानी की किल्लत के लिए बढ़ती आबादी को जिम्मेदार बताकर नए निर्माणकार्यों को अनुमति देने पर रोक लगाने की तरकीब खोज निकाली गई है। खुद सत्तादल के शहराध्यक्ष विधायक लक्ष्मण जगताप ने मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर को इस बारे में एक पत्र भेजकर नए निर्माणकार्यों को अनुमति न देने की सूचना की है।
विधायक जगताप ने इस पत्र में कहा है कि, बढ़ती आबादी के चलते शहर में पानी की किल्लत बनी हुई है। यह किल्लत और विकराल रूप धारण कर लेगी जब नई हाउसिंग सोसायटियों में लोग रहने के लिए आएंगे। जगताप के मुताबिक शहर में मनपा द्वारा अनुमति दिए गए निर्माणकार्यों में तकरीबन दो लाख नए फ्लैट पूर्णत्व की ओर हैं। पानी की अतिरिक्त मांग को पूरा करने का नियोजन शुरू है, मगर उसमें समय लगेगा। ऐसे में उपलब्ध पानी को समान रूप से शहरभर में वितरित करने के लिए नियोजन करना जरूरी है। इसके मद्देनजर शहर में नए निर्माणकार्यों को अनुमति नहीं दी जाय और अवैध नल कनेक्शन लेने वालों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाय, यह मांग विधायक जगताप ने की है।
पिंपरी-चिंचवड शहर की आबादी वृद्धि का दर देश के दूसरे शहरों की तुलना में काफी ज्यादा है। हर साल 10 फीसदी आबादी बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2011 में शहर की आबादी 17 लाख 30 हजार थी जो आज 27 लाख तक पहुंच गई है। नौ सालों में शहर की आबादी 10 लाख से बढ़ी है। राज्य के जलसंपदा विभाग ने 17 लाख की आबादी के हिसाब से पवना बांध का 379 एमएलडी पानी का कोटा मंजूर किया है। जबकि शहर की आबादी 27 लाख तक पहुंच गई है। उसी में मनपा द्वारा अनुमति दिए गए निर्माणकार्यों में करीबन दो लाख फ्लैट का निर्माण पूर्णत्व की ओर है। इससे शहर की आबादी और पानी की मांग और बढ़ जाएगी। परिणामस्वरूप पानी की किल्लत और गंभीर बन जाएगी। पानी की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए भामा-आसखेड  बांध से 167 एलएलडी, आंद्रा बांध से 100 एमएलडी और पवना बांध से 133 एमएलडी कुल 400 एमएलडी पानी का कोटा मंजूर किया गया है। मगर इस पानी को शहर में लाने में समय लगेगा। तब तक उपलब्ध पानी का योग्य नियोजन करना जरूरी है।