सेंट्रल विस्टा की राह में रोड़े, लेकिन भूमिपूजन को अदालत ने दी मंजूरी

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखेंगे और 971 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले नए भवन का निर्माण कार्य 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने  केंद्र सरकार द्वारा सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य के तरीकों पर आपत्ति जाहिर की है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेंट्रल विस्टा परियोजना  का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माणकार्य या इमारतों को गिराने की अनुमति नहीं देगा।  हालांकि हालांकि कोर्ट ने न्यायालय ने केंद्र को सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए आधारशिला रखने का कार्यक्रम आयोजित करने की मंजूरी दी।

अदालत ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट वाली जगह पर कोई भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। इस पर केंद्र ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वह मामले पर शीर्ष अदालत का फैसला आने तक सेंट्रल विस्टा परियोजना  के लिए इमारत गिराने या निर्माण का काम नहीं करेगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के निर्माण को लेकर सरकार के विचारों की जानकारी देने के लिए केंद्र को पांच मिनट का समय दिया। अदालत ने कहा कि केंद्र सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए आवश्यक कागजी कार्य कर सकता है और नींव रखने के प्रस्तावित समारोह का आयोजन कर सकता है।

दरअसल, नए संसद भवन का निर्माण जिस 9.5 एकड़ जमीन पर किया जा रहा है, यह पार्क बनाने के लिए छोड़ा गया था। इस प्रोजेक्ट को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहा जाता है। इस प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री आवास और पीएमओ को साउथ ब्लॉक के पास शिफ्ट किया जा सकता है। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति का नया घर नॉर्थ ब्लॉक के आसपास हो सकता है। याद रहे, कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब सुझाव दिया था, तो उस समय कहा था कि कोरोना संकट को देखते हुए सरकारी खर्च में 30 फीसदी की कटौती और ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को स्थगित किया जाए।