बुरे फंसे ओली, नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने  दिया जोर का झटका    

काठमांडू. ऑनलाइन टीम : नेपाल में राजनीतिक संकट बरकरार है। दशकों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद यह पहला मौक़ा था जब देश में लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनकर बहुमत वाली स्थायी सरकार आई थी, लेकिन लगातार घिरी रही। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अतिमहत्वाकांक्षा के चलते देश की तकदीर और तदबीर बदलती चली गई, लेकिन ओली चीन की शह में राजनीतिक बोली बोलते रहे। अब वहां की सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।

शीर्ष न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र समशेर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए संसद को बहाल कर दिया। साथ ही 13 दिन के भीतर संसद का सत्र आहूत करने का आदेश दिया है।

याद रहे, नेपाल में ओली सरकार की सिफारिश पर 20 दिसंबर को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी।  भारी विरोध के बीच,  संसद को भंग करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 13 याचिकाएं दायर हुईं। इनमें सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य सचेतक देव प्रसाद गुरुंग की याचिका भी शामिल थी। इन याचिकाओं में संसद को पुनर्जीवित करने की मांग की गई थी। इन याचिकाओं पर जस्टिस बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ, जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा, जस्टिस सपना मल्ल और जस्टिस तेज बहादुर केसी की मौजूदगी वाली पीठ ने 17 जनवरी से 19 फरवरी तक सुनवाई की। फैसला मंगलवार को सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशनुसार,  सबसे पहले नई सरकार का गठन करना होगा, क्योंकि 275 सदस्यीय निचले सदन में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के 173 सांसद हैं और वह दो फाड़ हो गई है। कम्युनिस्ट पार्टी के एक गुट का नेतृत्व ओली कर रहे हैं, वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व ओली के धुर विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड कर रहे हैं। संकट यह है कि पीएम ओली अगर इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा। उधर, ओली के समर्थकों ने कहा है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे।

ओली के मीडिया सलाहकार सूर्य थापा ने कहा है कि प्रधानमंत्री संसद का सामना करेंगे।  नेपाल में अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने और बाद में एक सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 138 है। इन सबमें नेपाली कांग्रेस किंगमेकर साबित हो सकती है जिसके 63 सांसद हैं। नेपाली कांग्रेस या तो ओली के पास जा सकती है जिनके पास करीब 80 सांसद हैं या प्रचंड के खेमे को सपोर्ट दे सकती है।