Ayodhya Verdict 2019 : अयोध्या में ही बनेगा भगवान श्रीराम का मंदिर, कोर्ट ने सुनाया अहम् फैसला, जाने कोर्ट ने अब तक क्या-क्या कहा

नई दिल्ली, 9 नवंबर – करीब 5 दशकों के विवाद का विषय बने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रही है. अभी तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पूरा फैसला नहीं पढ़ा गया है लेकिन अभी तक जितनी बातें निकल कर आई है उसने अनुसार कोर्ट ने विवादित जमीन पर भगवन श्रीराम की मंदिर बनाने का फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन को रामलला  का बताया है. उन्होंने मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए। इसके तहत केंद्र को तीन महीने  नियम बनाने होंगे।
पढ़े अब तक कोर्ट ने क्या-क्या कहा 
* विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए, इसके लिए तीन महीने के भीतर नियम बनाए। यह जमीन अभी केंद्र सरकार के पास रहेगी जिसे बाद में ट्रस्ट को दिया जाएगा।

* रामलला को मिला विवादित जमीन, मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश। यह जमीन सुन्नी वफ्फ बोर्ड को दी जाएगी।

* कोर्ट के फैसले से साफ हुआ कि मुसलमानों ने आंतरिक आंगन के अंडर प्रार्थना की और हिन्दुओं ने बाहरी आंगन में प्रार्थना की.

* कोर्ट ने ये भी कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि मुसलमानों ने मस्जिद को छोड़ दिया था. हिंदू हमेशा से मानते थे कि भगवन राम का जन्मस्थान मस्जिद के आंतरिक प्रांगण में है.

* कोर्ट ने माना है कि रसोई की पूजा किया करते थे. रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते है कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का कब्ज़ा था. कोर्ट ने कहा कि एएसआई इस बात को साबित नहीं कर पाई कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. मुसलमानों ने 1949 तक यहां नमाज पढ़ी.

* इस बात के पक्का सबूत है कि हिन्दू अंग्रेजो के आने से पहले से ही राम चबूतरे और सीता रसोई की पूजा किया करते थे. रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते है कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का कब्ज़ा था. 1856-57 में यहां नमाज पढ़ने के सबूत नहीं है. 1856 से पहले भी हिन्दू मंदिर के अंडर पूजा करते थे.  बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था. जमीन के निचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था. एएसआई के निष्कषों के साबित हुआ कि नष्ट किये गए ढांचे के मंदिर था.

* हिंदुओं का मानना है कि भगवन राम का जनम मुख्य गुबंद के नीचे हुआ था. आस्था व्यक्तिगत विश्वास का विषय है.
हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान का जनम अयोध्या में हुआ था इसे लेकर कोई विवाद में नहीं है.

* मामले का फैसला केवल एएसआई के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता है. जमीन पर मालिकाना हक है  फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए।

* भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है.

* सुप्रीम कोर्ट ने अपने वर्डिक्ट में निर्मोही आखाड़े के दावे को ख़ारिज किया।

* सुप्रीम कोर्ट ने शिया वफ्फ बोर्ड के दावे को भी ख़ारिज किया।