पुणे मनपा की तरफ से पीसीएनडीटी डिपार्टमेंट के तत्कालीन प्रमुख डॉ. वैशाली जाधव ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।जनवादी महिला संगठन की किरण मोघे ने रानडे हॉस्पिटल में गैरकानूनी तरीके से भू्रण की लिंग जांच होने की शिकायत मनपा से की थी। डॉ. जाधव ने सीनियर अधिकारियों की मदद से हॉस्पिटल में स्टिंग ऑपरेशन के दौरान प्लानिंग के तहत एक महिला को जांच के लिए भेजा गया था। डॉ. रानडे गायनोकोलॉजिस्ट थे उन्होंने जांच के लिए महिला से 9 हजार रुपए मांगे और महिला को डॉ. नीना मथरानी के सोनोग्राफी सेंटर भेजा।डॉ. मथरानी ने महिला को जांच करने के बाद बताया कि रिपोर्ट डॉ।रानडे के पास मिलेगी और महिला को डॉ. रानडे के पास भेज दिया।
इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. रानडे को महिला द्वारा दिए जाने वाले नोटों के नंबर लिखकर रख लिए। जैसे ही डॉ. रानडे ने महिला से रकम लिया स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने डॉ.रानडे को रंगेहाथ पकड़ लिया।इसके बाद उनके हॉस्पिटल और डॉ. मथरानी के सोनोग्राफी सेंटर के कागजातों और रजिस्ट्रेशन की जांच की। गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी करके कन्या भू्रण को रोकने के लिए कानून के तहत एक फॉर्म भरना अनिवार्य है। यह फॉर्म डॉक्टर को भरना होता है। लेकिन डॉ.रानडे या डॉ.मथरानी ने इस तरह का कोई फॉर्म नहीं भराया था, यह बात साफ हो गई। इसलिए दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था।बाद में उन्हें जमानत मिल गई। डॉ. रानडे की कुछ महीने पहले मौत हो गई। मंगलवार को इस मामले में कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया।फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल ऑफिसर विशाखा पाटिल ने डॉ. मथरानी को तीन वर्ष की कड़ी कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।