Anti Corruption Trap | रिश्वत लेते एनआईटी का प्यून एसीबी के जाल में फंसा 

नागपुर : एंटी क्रप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एनआईटी के प्यून को 15 हज़ार रुपए की रिश्वत (Bribe) लेते गिरफ्तार (Arrest) कर लिया (Anti Corruption Trap) है।  काफी लंबे समय के बाद एनआईटी (NIT) के कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए है।  आरोपी का नाम विजय गौरी नंदन सिंह चौहान (Vijay Gauri Nandan Singh Chauhan) (उम्र 50 ) है।  इस मामले (Anti Corruption Trap) को लेकर  एनआईटी के अधिकारियों-कर्मचारियों में खलबली मच गई है।
आरोपी चौहान एनआईटी के पूर्व विभागीय कार्यालय में प्यून है।  जबकि शिकायतकर्ता रिटायर सरकारी कर्मचारी है। उन्होंने दो प्लॉट ख़रीदा था।  प्लॉट का डिमांड लेटर और आर एल लेटर के लिए उन्होंने 27 अप्रैल और 4 अक्टूबर को एनआईटी (NIT) के कलमना के विभागीय कार्यालय (Departmental Office) में आवेदन किया था।  इस आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने प्यून चौहान से संपर्क किया।

 

चौहान ने एक महीने में काम करके देने की बात कहते हुए उनका मोबाइल नंबर लिया।  इसके बाद चौहान ने शिकायतकर्ता को कार्यालय में बुलाकर 17 हज़ार रुपए मांगे।  17 हज़ार नहीं होने के कारण शिकायतकर्ता ने 4 हज़ार रुपए दिए।  शेष रकम दूसरे दिन दिया। लेकिन इन पैसों का चौहान ने रसीद नहीं दिया।  इसके बाद चौहान ने शिकायतकर्ता से दोनों प्लॉट और आर एल लेटर जारी करने के लिए 50 हज़ार रुपए मांगे।  रिश्वत (Bribe) देने की इच्छा नहीं होने की वजह से शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत एसीबी से कर दी।  प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसीबी ने चौहान को पकड़ने की योजना बनाई।  शिकायतकर्ता ने बुधवार को 50 हज़ार रुपए में से 15 हज़ार रुपए देने के लिए राजी हो गए।  पैसे लेकर कलमना के एनआईटी विभागीय कार्यालय (NIT Departmental Office) पहुंचे।  यहां पैसे लेते प्यून को एसीबी (ACB) ने रंगेहाथों पकड़ लिया।

 

आरोपी के खिलाफ पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है।  यह कार्रवाई एसीबी के सुप्रीटेंडेंट  राकेश ओला, अपर पुलिस सुप्रीटेंडेंट मिलिंद तोतरे के मार्गदर्शन में डिप्टी पुलिस सुप्रीटेंडेंट योगिता चाफले, इंस्पेक्टर संजीवनी थोरात, अचल हरगुडे, अनिल बहिरे, अमोल मेघरे, निशा उमरेडकर, रेखा यादव, सदानंद शिरसाट ने की।

 

सामने नहीं आया असली चेहरा (Anti Corruption Trap)

जिस काम के लिए शिकायतकर्ता से रिश्वत मांगी गई थी, उस काम से चौहान का कोई संबंध नहीं है।  ऐसी स्थिति में जिस अधिकारी या कर्मचारी को डिमांड लेटर और आरएल जारी करने की जिम्मेदारी है उसका चौहान से क्या संबंध है यह जांच का विषय है।  रिश्वतखोरी के लिए चर्चा में रहे अधिकांश कार्यालय में प्यून या दलाल के जरिये वसूली की जाती है।  इस दिशा में जांच करने पर चौहान के पीछे छिपे कई चेहरे सामने आ सकते है।

 

 

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