पुणे तक पहुंची सीएए व एनआरसी विरोधी आंदोलन की तपिश

पुणे। संवाददाता : देशभर में शुरू संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण के खिलाफ़ी आंदोलन की तपिश शिक्षा का मायका कहे जानेवाले पुणे तक पहुंच गई है। यहां के नामी फर्ग्यूसन कॉलेज के छात्रों ने मंगलवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के खिलाफ रैली निकाली और हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस आंदोलन में विद्यार्थियों ने बड़ी तादात में हिस्सा लिया और उनके द्वारा की गई भाजपा सरकार विरोधी नारेबाजी से पूरा इलाका गूंज उठा।
इस आंदोलन के जरिए जामिया मिलिया इस्लामिया व अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के साथ हुई बर्बरता की कड़ी निंदा की गई। पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर विद्यार्थियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया, यह आरोप लगाते हुए सीएए कानून को रद्द करने की पुरजोर मांग की। फर्ग्यूसन कॉलेज के विद्यार्थियों ने पुणे पुलिस से कॉलेज के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन करने और हस्ताक्षर अभियान चलाने को लेकर अनुमति मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद दोबारा पुलिस से मंगलवार को सुबह प्रदर्शन आयोजित करने देने की अनुमति मांगी लेकिन आज भी उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया गया।
पुलिस अनुमति से इंकार किए जाने के बाद छात्रों ने कॉलेज के भीतर ही ‘शांतिपूर्ण’ तरीके से रैली निकाली और संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने गीतों, शेरो-शायरी और नारेबाजी से अपनी नाराजगी जताई। ‘हिंदू मुस्लिम एक है, मोदी शहा फेक है’, ‘जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा’, ‘हिंदुत्व नहीं बंधुत्व चाहिए’, ‘संघवाद का एक जवाब, इन्कलाब जिंदाबाद’ जैसे नारों, संभाजी भगत के आंदोलन के गीतों और राहत इंदोरी की शायरी एवं हल्ला बोल के नारों से पूरा कॉलेज परिसर गूंज उठा। इस आंदोलन के लिए कौस्तुभ पाटील, विशाल दाभाडे, संतोष रासवे, सुनील जाधव, संकेत म्हस्के, सचिन चव्हाण, जीवन बच्छाव, उदय कृष्णमूर्ती, दिग्विजय काले आदि ने अगुवाई की।