एनाकोंडा,  शेषनाग और अब वासुकी…रेलवे का एक और कीर्तिमान 

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कोरोनाकाल में रेलवे को भले ही यात्री ट्रेनों के कारण भारी राजस्व का घाटा उठाना पड़ा हो, लेकिन खाली ट्रैक का फायदा उसने प्रयोगों के जरिए उठाने की जोरदार कोशिश की, खासकर माल ढुलाई को लेकर। एनाकोंडा,  शेषनाग और अब वासुकी…भारतीय रेलवे की यह नई पहचान है। वासुकी ट्रेन साढ़े तीन किलोमीटर लंबी है और इसे पांच इंजन खींच रहे हैं। पांचों इंजन के तालमेल के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से जोड़ा गया है, ताकि बेहतर सामंजस्य बनाकर 295 डिब्बों को पटरी पर दौड़ा सके।

इसके पहले शेषनाग को चार ट्रेनों को जोड़कर चलाया गया था। इसके भी पूर्व तीन ट्रेनों को जोड़कर एनाकोंडा ट्रेन चलाई गई थी। अब आगे बढ़ते हुए रेलवे ने वासुकी नाग के नाम पर ट्रेन चलाई है। यह ट्रेन रायपुर रेल मंडल के भिलाई से बिलासपुर रेलमंडल के कोरबा के लिए चली है।

उल्लेखनीय है कि मालगाड़ी के लिए अलग से बनी ट्रैक जिसे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का नाम दिया गया है। दावा है कि उस पर डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेन चलेगी, जबकि इससे आगे बढ़ते हुए रेलवे ने साढ़े तीन किलोमीटर लंबी ट्रेन चलाकर इतिहास रचा है। इस तरह माल गाडिय़ों के परिचालन समय को कम करने, स्टाफ की बचत और उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने के लिए लंबी मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वासुकी भगवान शिव के परम भक्त थे। माना जाता है कि नाग प्रजाति के लोगों ने ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू किया था। नागराज वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को ही रस्सी के रूप में मेरु पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन किया गया था।