सागर सहानी हत्याकांड के सभी आरोपी निर्दोष

पुणे। समाचार ऑनलाइन
समूचे पिंपरी चिंचवड़ और पुणे को झकझोरने वाले सागर साहनी हत्याकांड के सभी छह आरोपियों, जिन्हें दिसंबर 2012 में पुणे के सेशन कोर्ट ने दोषी करार देकर सजा सुनाई थी, को मुंबई हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया है। सेशन कोर्ट के फैसले को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसकी सुनवाई में न्यायमूर्ति भूषण गवई और सारंग कोतवाल की बेंच ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार दिया है। प्रसाद शेट्टी, अरविंद चौधरी, भिकू थांकी, जितेंद्र मोढा, चोटी घाईसावाला ऊर्फ रावेतसिंग और नितीन मोढा ऐसे निर्दोष करार दिए आरोपियों के नाम है।
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साल 2005 में 14 अगस्त की रात पिंपरी चिंचवड़ के निगड़ी निवासी सागर साहनी को तब अगवा कर लिया गया जब वह नासिकफाटा स्थित अपनी दुकान बंद कर घर लौट रहा था। पिंपरी चौक स्थित अपने रिश्तेदार के होटल से पार्सल लेने के बाद उसे उसकी कार के साथ अगवा कर गुजरात ले जाया गया। सागर की रिहाई के लिए उसके घरवालों से दो करोड़ की फिरौती मांगी गई। इस पर सागर के पिता ने हवाला के जरिए 15 लाख रुपए भेजे थे। 12 दिनों तक अपहरणकर्ताओं की कैद में रहे सागर की फिरौती मिलने के बाद वापी में हत्या कर दी गई। यहीं नासिक हाइवे पर जंगल में उसकी लाश पायी गई।
पुणे पुलिस की क्राइम ब्रान्च ने सागर और उसके अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने के लिए कई पापड़ बेले। उन्हें हैदराबाद और गुजरात पुलिस का भी सहयोग मिला। इस पूरे अपहरण और हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार दुबई भाग गया था उसे भी इंटरपोल की मदद से भारत लाकर गिरफ्तार किया गया। दिसंबर 2012 में पुणे के सेशन कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार किये गए 11 में से उपरोक्त छः आरोपियों को दोषी करार देकर उनमें से नितीन मोढा, प्रसाद शेट्टी और चोटी घाईसावाला को उम्रकैद और बाकी आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में अपील की गई थी।
हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार देकर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। इन आरोपियों के खिलाफ इस हत्याकांड से पहले के दो आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी है। सरकार पक्ष उनके खिलाफ मकोका का मामला साबित करने में नाकाम साबित रहा। इस अपहरण और हत्याकांड के मामले में आरोपियों की पहचान परेड में काफी विलंब हुआ जिसपर यकीन नहीं किया जा सकता। यही नहीं उनके कबूलनामे दर्ज कराते वक्त जरूरी बातों का ध्यान नहीं रखा गया न ही पूर्तता की गई, ऐसा हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाने के दौरान कहा है।