नौकरी की कम संभावनाओं वाले पाठ्यक्रमों से एआईसीटीई ने किया किनारा 

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – देश में रोजगार सृजन को लेकर जहां सरकार तमाम तरह के उपाय कर रही है वहीं दूसरी संस्थाएं भी सरकार के इस काम में मदद करने का मन बना चुकी है। यही वजह है कि अब अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने उन पाठ्यक्रमों को बाय-बाय करने का मन बना लिया है जिसे पूरा करने के बाद भी युवा को नौकरी मिलने की संभावना कम है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) शैक्षणिक सत्र 2020-21 से इंजीनियरिंग में ऐसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों की अनुमति नहीं देगा जिसमें रोजगार हासिल करने की कम संभावना होती है।

शून्यकाल में निशंक ने जारी दी
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में निशंक ने यह भी कहा कि आगे से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे उभरते क्षेत्र से जुड़े पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी जायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियरिंग के छात्रों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे सरकार के ङ्गमेक इन इंडियाफ कार्यक्रम का हिस्सा बन सकें। पूरक प्रश्न पूछने के दौरान कांग्रेस के शशि थरूर ने दावा किया कि उद्योग क्षेत्र की मांग और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के प्रारूप में कोई समानता नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर मांग और पाठ्यक्रम में असमानता को दूर कर दिया जाये तो फिर युवाओं को रोजगार के लिए ङ्गपक़ौडा तलनेफ की सलाह नहीं देनी पड़ेगी।