शिवसेना छोड़ने के बाद राणे ने दो में से एक चिट्टी उठाई और कांग्रेस में गए : शरद पवार 

मुंबई : समाचार ऑनलाईन – नारायण राणे मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें कार्यकाल कम मिला। अगर उन्हें पूरा कार्यकाल मिला होता तो महाराष्ट्र के एक काम करने वाला मुख्यमंत्री मिला होता। राणे ने शिवसेना छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा. अन्याय सहन नहीं करना चाहिए, यह उनका स्वाभाव है. उन्हें शिवसेना में शांति से नहीं रहने दिया गया।  इस वजह से उन्होंने शिवसेना छोड़ दी. लेकिन इसके बाद कांग्रेस या राष्ट्रवादी में से किस पार्टी में जाना है? ये सवाल उनके सामने था. उन्होंने दो चिट्टी लिखी। एक राष्ट्रवादी के लिए दूसरी कांग्रेस के लिए. उन्होंने एक चिट्टी उठाई। उसमे कांग्रेस था। ये भूल थी या नहीं। इस मैं कुछ नहीं बोलूंगा। इस तरह के शब्दों में राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने नारायण राणे के पुस्तक विमोचन कार्यकर्म को खास बना दिया।  राणे के इंग्लिश में   लिखी गई आत्मकथा नो होल्ड्स बार्ड और झंझावात मराठी संस्करण का विमोचन नितिन गडकरी और शरद पवार के हाथों हुआ. इसी मौके पर शरद पवार बोल रहे थे.

कांग्रेस में ऐसे निर्णय नहीं होते है  
नारायण राणे को नेतृत्व करने देने का आश्वासन दिया गया था. तब  मैंने कहा था कि यह आश्वासन है ध्यान रखे. कांग्रेस में ऐसे निर्णय नहीं होते है. कांग्रेस ,में आने के बाद चार पांच महीने में कुछ होगा इसकी उम्मीद \नहीं रखे. ये सलाह मैंने उस वक़्त उन्हें दी थी. मैंने कहा था कि आप कांग्रेस में नए है. हमारा जीवन कांग्रेस में बीता है.
हमेशा विपक्ष में रहूंगा इसका भ्रम न पाले 
शरद पवार ने आगे कहा कि विरोधी पक्ष में बैठकर काम करने में जो आनंद मिलता है वह सत्ता में रहकर नहीं मिलता। विरोधी रहने पर अंतिम व्यक्ति तक से मिलते है. खुद पर कोई जिम्मेदारी नहीं रहती है. सत्ता में आने के बाद कई तरह के बंधन हो जाते है. लेकिन हमेशा विरोध में रहेंगे ये भ्रम नहीं पाले।