31 साल बाद घेरे में यासीन मलिक…रूबिया सईद अपहरण प्रकरण में आरोप तय, चलेगा मुकदमा

श्रीनगर. ऑनलाइन टीम : एक स्पेशल टाडा कोर्ट ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के खिलाफ 31 साल पुराने रुबिया सईद के अपहरण मामले में आरोप तय किए हैं। यासीन मलिक के वकील ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।

एफआईआर के तीन दशक बाद रुबिया सईद अपहरण मामले में विशेष न्यायाधीश टाडा जम्मू सुनित गुप्ता ने जेकेएलएफ सुप्रीमो यासीन मलिक सहित नौ अन्य आरोप तय किए हैं। आरोपियों में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमन मीर, इकबाल अहमद गांदरू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पाहलो उर्फ नान जी उर्फ सलीम, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, महराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी शामिल हैं। आरोप हैं कि सभी ने एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत डॉ. रुबिया सईद का अपहरण किया और उसे रिहा करने के बदले जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों को छुड़वाया।

डॉ. रुबिया ललदेद अस्पताल से इंटर्नशिप प्रशिक्षण लेकर घर लौट रहीं थीं। आरोपी मोहम्मद जमन मीर अस्पताल के मुख्य गेट पर मौजूद था। सभी योजना के तहत छोटे-छोटे समूह में बंटे हुए थे। आरोपी यासीन मलिक ने डॉ. रुबिया को अपनी शिनाख्त बताने को कहा। उक्त दिन शाम 3.45 बजे डॉ. रुबिया अस्पताल से अपनी सहेली डॉ. मिस नरगिस अंद्राबी के साथ लौट रही थी और मेटाडोर प्वाइंट तक पहुंची।

डॉ. सईद 4 बजे अपनी सहेली को छोड़कर टाटा मिनी बस नंबर जेकेएफ-0697 में बैठकर नोगाम बाईपास की ओर चली गई। नोगाम बाई पास के अंतिम स्टाप पर आरोपी यासीन मलिक और इशफाक माजिद वानी ने अन्य आरोपियों के सहयोग से मिनी बस के चालक पर पिस्टल तानकर उसे बिना रुके चलने को कहा। एक अन्य आरोपी मिराज उद दीन ने एके-47 राइफल के साथ डा. रुबिया समेत सभी सवारियों को चुपचाप बैठने के लिए कहा। करालपोरा के पास आरोपी यासिन मलिक, इश्फाक अहमद वानी और अन्य आरोपियों ने डॉ. सईद को मिनी बस से नीचे उतरने को कहा। उसे नीले रंग की मारुति कार में बैठने को कहा, जिसे आरोपी अली मोहम्मद मीर चला रहा था।

दो घंटे के भीतर डॉ. सईद को फ्लैट बी-1 सिंचाई कालोनी सोपोर में शिफ्ट किया गया। डॉ. सईद को 13-12-1989 को पांच आतंकियों की रिहाई के एवज में रिहा किया गया। इन आतंकियों में हमीद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद खलवाल, जावेद अहमद जरगर और शेर खान हैं, जो उस समय विभिन्न जेलों में बंद थे।

आरोप पत्र के 1 से 10 में उल्लेखित आरोपियों को जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था। इसमें आरोपी अली मोहम्मद मीर ने स्वैच्छिक रूप से धारा सीआर के तहत इकबालिया बयान में अपहरण में अपनी आपराधिक भूमिका स्वीकार की। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रथम दृष्टया में अनुमान लगाया कि आरोपी यासीन मलिक, अली मोहम्मद, मीर इकबाल अहमद, मंजूर अहमद सोफी, महराज उददीन शेख और रफीक अहमद ने धारा 364/368/120-बी आरपीसी, 3/4 टाडा अधिनियम और 27 आईए अधिनियम के तहत अपराध किए हैं, जबकि आरोपी मोहम्मद जमान मीर, जावेद अहमद मीर, वजाहत बशीर, शौकत अहमद बख्शी ने धारा 120 बी के तहत धारा 368 आरपीसी और धारा 3/4 के तहत टाडा अधिनियम के तहत अपराध किए हैं। इसलिए प्रत्येक आरोपी के लिए अलग से आरोप तय किए जाने आवश्यक हैं।

बता दें कि अपहरण के कुछ दिनों पहले ही रुबिया सईद के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद वीपी सरकार में देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री बने थे। रुबिया को 8 दिसंबर को अगवा किया गया था और 13 दिसंबर को रिहा किया गया। उनके बदले में जम्मू-कश्मीर की फारूख अब्दुल्ला सरकार ने जेकेएलएफ की मांग पर 5 आतंकवादियों को रिहा किया था।