पार्थ से जुड़े सवालों पर आदित्य ठाकरे का ‘नो कमेंट्स’

पिंपरी : समाचार ऑनलाइन (संतोष मिश्रा) उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही चर्चा और विवादों के घेरे में आए पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पुत्र और मावल लोकसभा चुनाव क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रत्याशी पार्थ पवार लगातार शिवसेना- भाजपा महायुति के निशाने पर हैं। उनके भाषण और प्रचार फंडों को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। शिवसेना ने तो इस चुनावी लड़ाई को भूमिपुत्र विरुद्ध राजपुत्र की लड़ाई बना दिया है। इस घमासान के बीच मंगलवार को जब शिवसेना की युवा इकाई के मुखिया आदित्य ठाकरे पिंपरी चिंचवड में थे, तब उन्होंने मात्र पार्थ पर व्यक्तिगत तौर पर बयानबाजी करने से बचने की भूमिका अपनाई। पार्थ पवार से जुड़े सवालों पर आदित्य का ‘नो कमेंट्स’ सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

मावल से शिवसेना- भाजपा- आरपीआई महायुति के प्रत्याशी सांसद श्रीरंग बारणे ने आज नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके लिए युवा सेना चीफ आदित्य ठाकरे पिंपरी चिंचवड शहर में पधारे थे। इस दौरान मीडिया कर्मियों ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की। पहले तो वे टालते रहे मगर नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद वापसी में मीडिया को टाल न सके। संवाददाताओं ने उनसे बातचीत की शुरुआत ही पार्थ पवार से जुड़े सवालों से की। लोकसभा क्षेत्र में मसलों की कोई जानकारी न रहते, तीन मिनट के भाषण तक में न टिक सकने जैसे मुद्दों पर उनसे लगातार तीन बार सवाल किए गए। आदित्य ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कुछ मुद्दों पर अपनी राय रखी मगर पार्थ पवार पर व्यक्तिगत रूप से टिप्पणी करने या कोई बयान देने से वे आखिर तक बचते रहे।

एक और प्रधानमंत्री नहीं चाहिए

मीडिया से की गई बातचीत में आदित्य ने कहा कि, विपक्ष के पास के पास प्रचार के कोई मुद्दे नहीं है। जो लोग उनके साथ हैं उनमें से कुछ लोग जम्मू कश्मीर में कहते हैं कि हम धारा 370 वैसे ही रखेंगे। उन्हीं के लोग यह कहने की कोशिश में हैं कि अगर उनकी सत्ता आती है तो देश में एक और प्रधानमंत्री हो सकेगा। यह एक और बंटवारा हमें नहीं चाहिए। इसलिए लोगों को चाहिए कि वे महायुति को जिताएं। कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं है। हमारे पास एजेंडा है इसलिए मैं सामनेवाले प्रत्याशी के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। नामांकन दाखिल करने, प्रचार फेरी, रैली, आदित्य संवाद के लिए पूरे महाराष्ट्र का दौरा कर रहा हूँ। हर जगह मुझे केवल कमल और धनुष्य बाण नजर आ रहा है। राज्य की सभी सीटें महायुति ही जीतेगी, यह विश्वास भी उन्होंने जताया।


ठाकरे-पवार परिवारों के बीच अच्छे ताल्लुकात

पार्थ पवार की उम्मीदवारी की सुगबुगाहट से ही भूमिपुत्र- राजपुत्र, परिवारवाद, घरानाशाही जैसे मुद्दे गूंजने लगे हैं। तकरीबन सभी राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाया हुआ है। मगर राजनीतिक दलों के आला नेता इस मुद्दे पर कन्नी काट लेते हैं। आज आदित्य ठाकरे और पार्थ के मामले में भी ऐसे ही संकेत मिले हैं। ठाकरे और पवार घरानों के अच्छे ताल्लुकात किसी से छिपे नहीं हैं। जब राष्ट्रवादी के हाइकमान शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले ने सियासत में कदम रखा तब स्व बालासाहेब ठाकरे ने इस बारे में उन्हें कुछ न बताने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी। यही नहीं राज्यसभा सांसद चुनाव में उन्होंने न अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा न भाजपा को उतारने दिया था। दूसरी बात मावल में जब श्रीरंग बारणे के नाम पर विरोध होने लगा था तब आदित्य ठाकरे के नाम की चर्चा शुरू थी। जब उनका नाम हट गया तब राष्ट्रवादी के खेमे से पार्थ का नाम आगे आया। आदित्य के ‘नो कमेंट्स’ के पीछे ठाकरे और पवार परिवारों के अच्छे ताल्लुकात तो जिम्मेदार नहीं? यह सवाल भी उठाया जा रहा है।