जलकुंभी हटाने को लेकर अतिरिक्त आयुक्त रुबल अग्रवाल ने बैठक की

पुणे : समाचार ऑनलाईन – नदीपाट व जलाशयों से जलकुंभी निकालने के कार्य का 23 करोड़ रुपयों के टेंडर पर उठा विवाद मनपा प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है. नदी में उपजी जलकुंभी वर्षाऋतु से पहले हटाना जरूरी है, लेकिन इसके लिए फंड की वजह बताकर कोई भी विभाग इस कार्य के लिए तैयार नहीं हो रहा है. इसे लेकर आखिर अतिरिक्त आयुक्त रुबल अग्रवाल ने संबंधित विभाग प्रमुख व कैंटोन्मेंट अधिकारियों के साथ बैठक लेकर बीच का रास्ता निकालने हेतु कदम उठाये हैं.

नदी-जलाशयों में जलकुंभियां बनी बड़ी समस्या
शहर की मुला-मुठा नदियों तथा कात्रज व पाषाण जलाशयों से जलकुंभी निकालने के लिए मनपा ने कुछ महीने पहले ही टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित की थी. इस टेंडर के कार्यान्वयन के समय उसमें 3 वर्षों तक उक्त नदियों व जलाशयों को जलकुंभी-मुक्त रखने की शर्त रखी गई थी. इस कार्य हेतु 23 करोड़ रुपयों का टेंडर जारी होने पर बड़ा विवाद पैदा हो गया था. विपक्षी सदस्यों ने इस कार्य में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आंदोलन किया. इतना ही नहीं आंदोलन के दौरान अधिकारियों से धक्का-मुक्की हुई और 2 नगरसेवकों के खिलाफ मामले भी दर्ज हुए. इसके बाद मनपा प्रशासन ने टेंडर रद्द करने की घोषणा कर दी.

बारिश से जलकुंभियां निकालने का निर्णय
टेंडर रद्द होने के बाद किसी ने भी बारिश के दिनों से पहले जलकुंभी निकालने का निर्णय नहीं लिया. पहले का टेंडर वेहिकल डिपो ने जारी किया था. अब तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जलकुंभी हटाने का कार्य किया जाता था और इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग ने वेहिकल डिपो को फंड ट्रांसफर किया था. टेंडर को लेकर हंगामा बरपने के बाद यह सवाल पैदा हो गया कि आखिर यह कार्य किस विभाग के जरिए हो? ऐसे में लोकसभा चुनाव की आचारसंहिता लागू होने से बाद में कोई भी निर्णय नहीं हुआ.

शुक्रवार को रूबल अग्रवाल ने बैठक की
इस बीच, बारिश के दिन समीप आने से नालों की सफाई व जलकुंभी हटाने का विषय चर्चा में आया और इस काम की जिम्मेदारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग व वेहिकल डिपार्टमेंट एक-दूसरे की ओर उंगली बताने लगे. इन विभागों का कार्यभार जिन अतिरिक्त आयुक्त पर था, उनके अवकाश पर होने से इस विषय में फैसला लेना मुश्किल हो गया. इसी पृष्ठभूमि पर विशेष विभाग की अतिरिक्त आयुक्त रुबल अग्रवाल ने शुक्रवार को जलकुंभी के कार्य को लेकर बैठक आयोजित की थी, जिसमें कैंटोन्मेंट विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे. बैठक में हुई चर्चा में कहा गया कि जलकुंभी हटाने के कार्य के दौरान कई बार उसे नदी के पाट में आगे धकेल दिया जाता है और बारिश आने पर वह बह जाती है.
इस संबंध में पूछे जाने पर रुबल अग्रवाल ने बताया कि सभी विभागों में समन्वय स्थापित कर जलकुंभी हटाने का कार्य किया जाएगा. वरिष्ठ स्तर पर चर्चा कर जल्द से जल्द टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित की जाएगी.