बंगाल में 28 मई को कहर बरपा सकता है शक्तिशाली तूफान  

ऑनलाइन टीम. कोलकाता : पिछले साल आए सुपर साइक्लोन ‘एम्फन’ की तरह इस बार भी एक शक्तिशाली तूफान की आशंका है। कुछ मौसम विज्ञानियों का दावा है कि आसन्न चक्रवाती तूफान से एम्फन की तुलना में कहीं अधिक परिमाण में बारिश हो सकती है। 24 घंटे में 300 मिलीमीटर तक की बारिश के आसार हैं। इसके साथ ही बंगाल में मानसून भी दस्तक दे सकती है। अभी तक के आकलन के अनुसार,  उत्तर व दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में व्यापक नुकसान पहुंच सकता है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक यह तूफान आगामी 28 मई को बंगाल में कहर बरपा सकता है।

गौरतलब है कि पिछले साल 20 मई को आए सुपर साइक्लोन एम्फन ने कोलकाता समेत बंगाल के कई जिलों में भारी क्षति पहुंचाई थी।  तटवर्ती इलाकों में तेज हवाओं और बारिश के कारण कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचीं तो  हजारों पेड़ गिर गए थे। राज्य में 72 लोगों की मौत का दावा किया गया था। अब इस नए तूफान से निपटने की भारी जिम्मेदारी ममता की नई सरकार पर आ गई है।

तूफान की सूचना मिलने के बाद राज्य सरकार अलर्ट हो गई है। तूफान की आशंका वाले चारों जिलों के प्रशासन को पूरी तरह मुस्तैद रहने को कहा गया है और सारी जरूरी व्यवस्था की जा रही है। मौसम विभाग के प्राथमिक पूर्वानुमान के मुताबिक चक्रवाती तूफान फ्रेसरगंज के पास से गुजरेगा।

बता दें कि 120 साल के इतिहास में सिर्फ 14 फीसदी चक्रवाती तूफान और 23 भयंकर चक्रवात अरब सागर में आए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो 86 फीसदी चक्रवाती तूफान और 77 फीसदी भयंकर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं। दरअसल, बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आने का सबसे अहम कारण हवा का बहाव है।

पूर्वी तट पर मौजूद बंगाल की खाड़ी के मुकाबले पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर ज्यादा ठंडा रहता है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान ज्यादा आते हैं। बता दें कि इतिहास के 36 सबसे घातक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात  में 26 चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं। बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों का भारत में सबसे ज्यादा असर ओडिशा में देखा गया है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु भी इससे प्रभावित होते रहे हैं। इसके अलावा पूर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भूमि पश्चिमी तटों से लगने वाली भूमि की तुलना में ज्यादा समतल है, इस वजह से यहां से टकराने वाले तूफान मुड़ नहीं पाते. वहीं, पश्चिमी तटों पर आने वाले तूफान की दिशा अक्सर बदल जाती है।