स्थायी समिति में रहे भाजपा के 4 नगरसेवकों के लिए जाएंगे इस्तीफे

पिंपरी। सँवाददाता – दो साल की दूरी पर आम चुनाव रहने से पिंपरी चिंचवड़ मनपा के सत्तादल भाजपा को फिर एक बार ज्यादा से ज्यादा नगरसेवकों को मौका देने की नीति याद हो आयी है। मनपा में सत्ता स्थापना के बाद भाजपा ने इस नीति का अवलंब कर स्थायी समिति में अपने सदस्यों का कार्यकाल दो की बजाय एक साल का तय किया है। हालांकि गत वर्ष इस नीति को बिसरा दिया गया था, मगर अब पुनः इस नीति की याद हो आयी है। इसके चलते स्थायी समिति में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुके चार नगरसेवकों के इस्तीफे लेकर उनकी जगह नए सदस्यों को मौका देने का फैसला किया गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से इस फ़ैसले को हरी झंडी मिल गई है।
इस नीति के अनुसार शुक्रवार को स्थायी समिति सभापति के चुनाव के बाद एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुके भाजपा के आरती चोंधे, शीतल शिंदे, राजेंद्र लांडगे और झामाबाई बारणे इन सदस्यों के इस्तीफे लिए जाएंगे, यह तय माना जा रहा है। हालांकि सभापति पद के प्रत्याशी तय किये गए संतोष लोंढे को स्थायी समिति की सदस्यता के दूसरे साल में मौका मिला है। ऐसे में निवर्तमान सभापति विलास मडिगेरी के बाद दो साल का कार्यकाल भोगने वाले वे भाजपा के दूसरे ‘तकदीरवाला’ नगरसेवक साबित होंगे। बहरहाल इस साल फिर एक बार सभापति पद से मौका चूकने वाले शीतल उर्फ विजय शिंदे को पार्टी के प्रदेश स्तर से अगले साल सभापति पद देने का आश्वासन मिलने की खबर है।
गौरतलब हो कि, फरवरी 2017 में मनपा के चुनाव में भाजपा की सत्ता आने के बाद स्थायी समिति में हर साल अपने 10 और भाजपा समर्थित निर्दलीय मोर्चा के एक इस प्रकार से पांच साल में 55 नगरसेवकों को मौका देने की नीति तय की गई। पहले साल ड्रॉ से बचे सभी 11 सदस्यों के इस्तीफे लिए गए। हालांकि गत साल इस नीति पर अमल नहीं किया गया। नतीजन विलास मडिगेरी, ममता गायकवाड, राजेंद्र गावडे, सागर आंगोलकर, करुणा चिंचवडे, नम्रता लोंढे भाजपा के इन छह सदस्यों को दो साल का पूरा कार्यकाल मिला। अब जब मनपा चुनाव करीब आने लगे तब भाजपा को पुनः बचे हुए दो साल में ज्यादा नगरसेवकों को मौका देने की नीति याद हो आयी है। इसके लिए भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से भी हरी झंडी मिलने की भी खबर है।