आधुनिक बीज बुआई करनेवाली बारामती केव्हीके की 25 सालगिराह|

बारामती/ पुणे – जहाॅ प्रति वर्ष पाॅंच लाख किसान भेट देकर नए तंत्रज्ञान की जानकारी लेते है । प्रतिवर्ष 200 टन बीजोत्पादन करके किसानों के जीवन में आधुनिक खेतीविषयक तकनिकी का प्रचार एवं प्रसार करनेवाले अॅग्रीकल्चरल डेव्हलपमेंट ट्रस्ट के कृषि विज्ञान केंद्र को 25 साल पूरे हुए ।

सन 1992 में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र एक महत्त्वपूर्ण ऊॅंचाई पर पहुॅंचा । महाराष्ट्र NCP लीडर शरद पवारजी द्वारा स्थापित अॅग्रीकल्चरल डेव्हलपमेंट ट्रस्ट की पहचान समस्त विश्व में निर्माण करनेवाले केंद्र की नीव स्थापित करने का कार्य स्वर्गीय पद्मश्री डाॅ अप्पासाहब पवार जी ने किया । अप्पासाहब जी ने महाराष्ट्र के किसान को टपकन सिंचाई का मंत्र दिया खेती एवं खेतीपूरक व्यवसाय का जोड इसी केव्हीके के माध्यम से मिला ।

सन 2000 से कृषि विज्ञान केंद्र की बागडौर राजेंद्र पवार जी ने संभाली है । अप्पासाहब पवार जी द्वारा लगाए बीजों का विकास समस्याओं का निपटारा आधुनिक तकनिकी मार्ग से किया । राजेंद्र पवार जी के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र ने किसान गुट स्थापित करके किसानों को इकट्ठा किया । खेती के लिए टपकन सिंचाई का प्रयोग सर्वप्रथम अप्पासाहबजी ने किया । राजेंद्र पवार जी ने अवर्षण काल में फसल उत्पादन के लिए खेत तालाब का मंत्र दिया ।

गन्ने फसले में अंतर्वर्ती फसले लेने का प्रयोग या किसानों को बीजोत्पादक बनाना जिरायती भाग में जलसंधारण प्रयोग आदि के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र ने चैत्रपालवी एवं कृषिक प्रदर्शनी के माध्यम से सभी किसानों को नया मंत्र दिया।

मधुमक्खीपालन में अभिवन प्रयोग क्षारीय मृदा के बढवे प्रमाण के कारण खजुर की फसले मत्स्यखेती जैसे नए पर्यायों का अवलंब करने के लिए राजेंद्र पवारजी किसानों को प्रेरित एवं मार्गदर्शन कर रहे है । अप्पासाहब पवार जी ने पुरानी पीढी को जो रूकेगा उसका विनाश होगा यह मंत्र दिया था । राजेंद्र पवार जी ने बारामती कृषि विज्ञान केंद्र को एक नया चेहरा दिया । आज हायटेक खेती आधुनिक किसान इस मंत्र को अपनाते हुए कृषि विज्ञान केंद्र की सफर जारी है ।