मधुमेह रोगियों में दृष्टिहीनता का 25 % अधिक जोखिम

मधुमेह पीड़ितों की संख्या के मामले में विश्व में भारत दूसरा 

पुणे। संवाददाता

भारत में डायबि‍टीज मेलिटस काफी व्‍यापक है और इसके रोगियों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। मधुमेह पीड़ितों की संख्या के लिहाज से भारत पुरे विश्व में दूसरे पायदान पर है। डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है, जिससे दृष्टिहीनता भी हो सकती है। एक रिसर्च में मधुमेह से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25 प्रतिशत अधिक पाया गया है।

डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) में रेटिना में तरल संचित हो जाता है- ऐसा रिसती रक्त वाहिकाओं के कारण होता है। यदि किसी व्‍यक्ति में डायबेटिक रेटिनोपैथी (डीआर) पाई जाती है तो उसे डीएमई हो सकता है।  डीएमई डीआर का सबसे आम रूप है। मधुमेह से पीड़ित प्रत्येक रोगी को डीआर होने का जोखिम रहता है। डीएमई के लक्षणों में धुंधला या अस्पष्ट दिखना, सीधी लाइनों का लहरदार दिखना, कॉन्ट्रस्ट कम होना या रंग समझने की क्षमता जाना, एक दूरी से देखने में कठिनाई, दृष्टि के केन्द्र में छोटा लेकिन बढ़ता हुआ धब्बा शामिल हैं।

पुणे के जाने- माने नेत्र रोग विशेषज्ञ और ओप्थाल्मोलॉजिस्ट एवं विटोरोरेटिनल सर्जन डॉ नितिन प्रभुदेसाई बताते हैं कि, अक्सर मधुमेह रोगी परामर्श के लिए डॉक्टरों के क्लिनिक पर केवल उन्नत चरण में आते है। यह एक संकेत है कि मरीजों के बीच जागरूकता की कमी और इन बीमारियों से संबंधित जानकारी के बारे में अज्ञानता। यह मधुमेह के रोगियों को हर 6 महीने में अपनी रेटिना जांचनी चाहिए। नेत्र रोग, मधुमेह रोगियों को मॅक्युलर एडिमा (डीएमई) के रूप में गंभीर बीमारी है, तथापि, आज की तारीख मे अद्ययावत उपचार विधियों के माध्यम से इस पर नियंत्रण उपलब्ध हो सकता है।

दिल्ली आई केयर में ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट एवं आई सर्जन डॉ. शशांक राय गुप्ता के अनुसार, ‘‘मेरे क्लिनिक में आँखों की जाँच के लिये आने वाले 75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में डायबेटिक रेटिनोपैथी की कोई न कोई अवस्था पाई जाती है। मधुमेह और डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें प्रारंभिक अवस्था में रोगियों की पहचान करने के लिये मजबूत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उत्पादनशीलता के वर्षों में दृष्टिहीनता होने से व्यक्ति निराश हो सकता है और शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्तर पर उसके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। मधुमेह रोगियों को अपनी आँखों के प्रति सजग रहना चाहिये और नियमित अंतराल पर आँखों की जाँच करवानी चाहिये, ताकि नेत्र रोग का पता चल सके, खासकर रेटिना के रोग।

डॉ शशांक राय गुप्ता, ओप्थाल्मोलॉजिस्ट और आई सर्जन, दिल्ली आई केयर ने कहा, “मधुमेह के रोगियों को अपने आंखों के स्वास्थ्य से बेहद सतर्क रहना चाहिए।  विशेष रूप से रेटिना के उन लोगों को अक्सर उनकी दृष्टि जांचनी चाहिए। मधुमेह मैकुलर एडीमा (डीएमई) का बोझ बढ़ रहा है और हमें शुरुआती चरण में रोगियों की पहचान करने के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। दृष्टि के नुकसान उन रोगियों के लिए कमजोर हो सकते हैं जो अभी भी अपने उत्पादक वर्षों में हैं और शारीरिक रूप से उनकी गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर।

मधुमेह की रोकथाम के उपाय
मधुमेह से पीड़ित रोगियों को प्रत्येक 6 माह में ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिये और तय अपॉइंटमेन्ट से चूकना नहीं चाहिये
रोगियों को डीएमई के लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिये, जैसे धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देना, सीधी लाइनें लहरदार दिखाई देना, रंगों के प्रति असंवेदनशीलता, केन्द्रीय दृष्टि में धब्बे, आदि और दृष्टि में परिवर्तन होने पर तुरंत विशेषज्ञ को दिखाना चाहिये
डॉक्टर द्वारा बताये गये उपचार का पालन करना चाहिये
मधुमेह के प्रभावी प्रबंधन के लिये शर्करा का स्तर नियमित रूप से जानना चाहिये
यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो डॉक्टर से इसे छोड़ने के उपाय पूछें और छोड़ने की दिशा में काम करें
अपने शरीर का स्‍वस्‍थ भार मेंटेन रखें और स्‍वस्‍थ आहार लें
उच्च रक्तचाप और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिये नियमित रूप से व्यायाम करें