दशलक्षण पर्व महोत्सव में पहुंचे 23 विदेशी मेहमान

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

सकल जैन वर्षायोग समिति की ओर से चातुर्मास के उपलक्ष्य में दशलक्षण पर्व महोत्सव का प्रारंभ हो गया है। निगडी प्राधिकरण में चल रहे इस महोत्सव में मंगलवार को 23 विदेशी मेहमान पधारे थे। सर्वास इंटरनेशनल के जरिये ये मेहमान परम् पूज्य पुलकसागर महाराज के दर्शन और जैन धर्म के अध्ययन के लिए यहां पहुंचे थे। इसमें इटली, ईरान, मैक्सिको, इजरायल, पोलैंड, फ़्रांस, तुर्कस्तान देशों के मेहमानों का समावेश था।

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विदेशी मेहमानों का देशी स्वागत किया गया। सभी की भारतीय संस्कृति के अनुसार आरती उतारी गयी, इसके बाद उन्हें फेटे (पगड़ी) बंधी गई। महिला मेहमानों को नथ पहनाई गई। उन सभी के साथ सर्वास इंटरनेशनल के सचिव अभय शहा भी मौजूद थे। सकल जैन वर्षा योग समिति की अध्यक्षा शोभा धारीवाल, कार्याध्यक्ष मिलिंद फडे, उपाध्यक्ष अजित पाटील, वीरेंद्र जैन, भूपाल बसन्नावार, सुरगोंडा पाटील, चकोर गांधी, सुदीन खोत, विजय भिलवडे, संजय नाईक, जितेन शहा, वीरकुमार शहा, सुजाता शहा, प्रकाश शेडबाले आदि इस मौके पर उपस्थित रहे।

जैन तत्वज्ञान के बारे में अध्ययन करने यहाँ पहुंचे विदेशी मेहमानों ने पुलकसागर महाराज से कई प्रश्न और शंकाएं पूछी। निर्वाण का अर्थ समझाते हुए महाराज ने बताया कि, जहाँ जन्म नहीं, जहाँ मृत्यु नहीं, जहाँ सिर्फ जीवन है, वही निर्वाण है। आत्मबोध होने पर कैसे लगता है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने महावीर को केवल पढ़ा नहीं बल्कि उन्हें अंतर्बाह्य दोनों जाना है। उसी से मुझे महावीर का जिओ और जीने दो का सन्देश मिला और मैं उसी का प्रसार प्रचार कर रहा हूँ।

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सादगी हुए दिखावा एकसाथ कैसे? इस सवाल के जवाब में महाराज ने बताया कि, संतों के अनुसार संसार एक किराये का मकान है। संसार में रहने के दौरान उसके नियमों का पालन करना चाहिए। हांलाकि संत सांसारिक जीवन से अलग है, इस वजह से वे सादे होते हैं मगर सांसारिक दिखावा करते हैं। उन्होंने उपस्तिथों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि अपना जीवन अच्छा बनाने के लिए दूसरों का जीवन खराब न करें। हिंसा से बचें, शरीर की आत्मा को स्वच्छ रखना जरुरी है, तब आत्मा परमात्मा हो सकेगी। जैन तत्वज्ञान समझने के बाद मांसाहार त्यागने की उनकी अपील पर समारोह में मौजूद कई मेहमानों ने मांसाहार त्यागने की शपथ ली।

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