बचत की नीति से रोजाना बचाई जा रही 13.59 टन ऑक्सीजन

संवाददाता, पिंपरी। महामारी कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या से करीबन 20 दिन पहले पिंपरी चिंचवड़ शहर में ऑक्सीजन की भारी किल्लत निर्माण हुई थी। एक वक्त आया कि जब चंद घन्टे बाद मनपा के वाईसीएम, जंबो कोविड समेत सभी कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म हो जाता। हालांकि मनपा प्रशासन की दौड़धूप रंग लाई और रातोंरात 32 टन ऑक्सीजन उपलब्ध हो सका। इस संकट से सबक लेते हुए मनपा द्वारा ऑक्सीजन इस्तेमाल का ऑडीट करने और तकनीकी कारणों से जाया जानेवाली ऑक्सीजन की बचत की नीति अपनाई। इसके बाद से रोजाना 13.59 टन ऑक्सीजन की बचत हो रही है।
मनपा के वाईसीएम, ऑटो क्लस्टर और जम्बो कोविड हॉस्पिटल में ऑक्सीजन आपूर्ति में आ रही दिक्कतों का मद्देनजर मनपा द्वारा अलग से ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए 24/7 यंत्रणा कार्यान्वित की गई। इसके जरिए निजी अस्पतालों को भी ऑक्सीजन आपूर्ति की जाने लगी। यही नहीं ऑक्सीजन के इस्तेमाल को प्रभावी बनाने के लिए बारीकी से जांच की गई, उसकी त्रुटियों को दूर किया गया। नतीजन अब ऑक्सीजन की बचत होने लगी, यह दावा मनपा के प्रवक्ता शिरीष पोरेडी ने किया है। ऑक्सीजन की किल्लत के कारण बनी स्थिति से बाहर निकलने के लिए मनपा ने 20 अप्रैल को तीन अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट कराने का फैसला किया। इनमें वाईसीएम के साथ नेहरूनगर जंबो और ऑटो क्लस्टर कोविड अस्पताल शामिल थे। इसका बायोमेडिकल इंजीनियर द्वारा ऑडिट किया गया था। इसमें पाया गया कि कुछ अस्पताल मरीजों द्वारा अनुचित उपयोग के कारण ऑक्सीजन बर्बाद कर रहे थे। इसके अनुसार उपाय किए गए और ऑक्सीजन की बचत हुई।
ऑडिट से पहले, नेहरूनगर जंबो अस्पताल प्रति घंटे एक किलोलीटर ऑक्सीजन का उपभोग कर रहा था।  ऑडिट के बाद, इसकी मात्रा को 25 प्रतिशत घटाकर 0.75 kl कर दिया गया। ऑटो क्लस्टर और वाईसीएम अस्पताल में भी यही स्थिति देखी गई।  ऑडिट से पहले, ऑक्सीजन की आवश्यकता क्रमशः 0.25 और 0.75 किलोलीटर प्रति घंटे थी। ऑडिट के बाद, ये मात्रा क्रमशः 0.23 और 0.55 किलोलीटर पर आ गई। दूसरे शब्दों में, सभी तीन अस्पतालों ने दो के बजाय प्रति घंटे 1.53 किलोलीटर ऑक्सीजन का उपभोग करना शुरू कर दिया। इसका मतलब है कि प्रति घंटे 0.47 किलोलीटर ऑक्सीजन की बचत हुई।
24 घंटे के लिए यह राशि 11.28 किलोलीटर हो गई।  बेशक, हर दिन 13.59 टन ऑक्सीजन बचाई गई थी। रोगी की प्रकृति के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। नेहरूनगर में जंबो कोविड अस्पताल और वाईसीएम के परिसर में ऑक्सीजन टैंक हैं।  ऑडिट से पहले, प्रत्येक अस्पताल प्रति दिन 23 से 25 टन ऑक्सीजन की खपत कर रहा था। अब यह मात्रा घटकर 18 टन रह गई है। मनपा प्रवक्ता शिरीष पोरेड्डी ने कहा कि प्रतिदिन छह से सात टन ऑक्सीजन की बचत होती है।
ऑक्सीजन जाया जाने के कारण
 1) मरीज द्वारा ऑक्सीजन मास्क को हटाकर एक तरफ रख देना
 2) बाथरूम या शौचालय में जाते वक्त नोजल को बंद न करना
 3) बात करते, खाते या नाश्ता करते समय ऑक्सीजन जारी रखना
 4) आवश्यकता न होने पर ऑक्सीजन पाइप नोजल को जारी रखना
ऑक्सीजन की बचत के उपाय
 1) प्रति मरीज ऑक्सीजन की खपत का ऑडिट
 2) ऑक्सीजन पर रोगियों की निगरानी करना
 3) ऑक्सीजन बेड प्रबंधन और नियोजन
 4) इस्तेमाल के अभाव में जाया जानेवाले ऑक्सीजन की बचत