12.5% जमीन वापसी के मामलों की होगी जांच

विधायक अण्णा बनसोडे ने लगाया घोटाले का आरोप
पिंपरी : समाचार ऑनलाइन – किसानों को उनकी अधिग्रहित जमीन के बदले साढ़े 12 फीसदी जमीन लौटाने के वे लंबित मामले संदेह के दायरे में आए हैं, जिन्हें भाजपा के शासनकाल में मंजूरी दी गई। लंबित मामलों को मंजूर कर किसानों को न्याय देने का ढोल पीटा जाता रहा है। मगर अब यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है कि पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण ने उन्हीं मामलों को झटपट मंजूरी दी है, जिनके राइट्स बिल्डरों ने खरीद रखें हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के नगरविकास विभाग ने गत छह माह में जमीन वापसी के मंजूर किये गए लंबित मामलों की रिपोर्ट मांगी है।
प्राधिकरण प्रशासन ने किसानों को साढ़े 12 फीसदी जमीन वापसी के लंबित मामलों को मंजूरी देते वक्त केवल बिल्डरों के हितों का जतन किया है। यह गंभीर आरोप राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अण्णा बनसोडे ने लगाया है। इस मामले में नगरविकास विभाग की सचिव मनिषा म्हैसकर ने गत छह माह में मंजूर किये गए जमीन वापसी के मामलों की रिपोर्ट पेश करने के आदेश प्राधिकरण को दिए हैं। इसकी जानकारी विधायक बनसोडे ने दी है। गौरतलब हो कि प्राधिकरण द्वारा संपादित जमीनों के बदले किसानों को साढ़े 12 फीसदी जमीन वापसी के तहत कई हेक्टेयर जमीन लौटानी अभी बाकी है। इसके लिए कई भूखंड आरक्षित रखे गए हैं।
प्राधिकरण द्वारा जिन किसानों की जिस क्षेत्र की जमीनें अधिग्रहित की हैं, उन किसानों को उन्हीं क्षेत्रों में साढ़े 12 फीसदी जमीन वापसी के फैसले का लाभ देना चाहिए। मगर प्राधिकरण ने गत छह महीनों में पुरानी और कानूनी पचड़ों में फंसी जमीनें किसानों को दी हैं। उसमें भी जिन किसानों के राइट्स बिल्डरों ने लिखवा लिए हैं, उन्हीं किसानों को जमीन वापसी की गई है। ऐसा करते वक्त नियमबाह्य तरीके से कुछ किसानों को एकत्रित कर उन सभी की साढ़े 12 फीसदी जमीनें एकत्रित कर लौटाने की प्रक्रिया की गई। इसके लिए विधानसभा चुनाव से पहले कुछ विशिष्ट किसानों की एक सूची बनाई गई थी। उन सभी को दी जानेवाली जमीनों का एकत्रित क्षेत्र 78 हजार स्क्वेयर फीट था।
कुल मिलाकर किसानों को जमीन वापसी के फैसले का लाभ देते वक्त किसानों से ज्यादा बिल्डरों के हितों का जतन किया गया। किसानों की बजाय बिल्डर लॉबी कैसे ज्यादा लाभान्वित होगी, इसका ख्याल प्राधिकरण प्रशासन ने रखा। यह आरोप लगाते हुए विधायक अण्णा बनसोडे ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की थी। इस पर नगरविकास विभाग की सचिव मनिषा म्हैसकर ने रिपोर्ट मंगाई है। 1984 से पहले अधिग्रहित जमीनों की साढ़े 12 फीसदी जमीन लौटाने के फैसले के वक्त तत्कालीन फडणवीस सरकार ने सवा छह फीसदी जमीन और सवा छह फीसदी एफएसआई देना तय किया था। मगर इसका अध्यादेश ही जारी नहीं हो सका, इस ओर भी विधायक बनसोडे ने सरकार का ध्यानाकर्षित किया है।