चीनी कंपनी को 1000 करोड़ का ठेका, शुरू हुआ राजनीतिक बवाल

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : सीमा पर आक्रामक रुख दिखा रहे चीन के साथ भारत जिस तरह से सख्ती के साथ पेश आया, उसकी देश भर में तारीफ हुई और लोग अपने-अपने स्तर पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए उठ खड़े हुए। लेकिन अब उसी चीन के एक कंपनी को  दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस  परियोजना में ठेका मिलने पर विवाद हो गया है। यह ठेका 1000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है।

चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक 5.6 किलोमीटर के भूमिगत मार्ग के निर्माण के लिए आगे आई थी। वंदेभारत और हाई-वे प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं से चीनी कंपनियों को बाहर किए जाने के बाद इस ठेके के कारण राजनीतिक पारा बढ़ता जा रहा है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से चीनी कंपनी की बोली को रद्द करने की मांग की है।  दूसरी तरफ, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि निर्धारित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के तहत यह ठेका दिया गया है और भारतीय कंपनियों को पूरा मौका दिया गया।

चीन की कंपनी ने 1126 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली लगाई थी। भारत की टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने कोरिया की कंपनी एसकेईसी के साथ मिलकर बोली लगाई थी। उसकी बोली 1346 करोड़ रुपये की थी। एलएंडटी को बोली 1170 करोड़ रुपये, गुलरमैक की 1326 करोड़ रुपये और एफ्कॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर की बोली 1400 करोड़ रुपये की थी। टेक्निकल बिड पिछले साल 16 मार्च को खोली गई थी। इस प्रकार कम बोली होने के बावजूद ठेके मिलने के कारण चीनी कंपनी और सरकार दोनों ही निशाने पर हैं। स्वदेशी जागरण मंच संस्था ने सरकार से चीन की कंपनी को मिले ठेके को रद्द करने और इसके बजाय किसी स्वदेशी कंपनी को आगे बढ़ाने की मांग की है।