कोर्ट की दहलीज से एक लाख नौकरी सुरक्षित लौटी

नई दिल्ली, 16, समाचार ऑनलाइन-  जुलाई  एक तरफ नौकरी के लिए युवा इधर-उधर भटक रहे है वहीं दूसरी तरफ करीब एक लाख सहायक शिक्षकों की नौकरी जाते-जाते बची है। इस रास्ते में कोर्ट ने मशीहा बनकर इन्हें बेरोजगार होने से बचा लिया है।
सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश के सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 मई 2018 के फैसले को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का वह फैसला निरस्त कर दिया है, जिसमें टीईटी रिजल्ट के बाद बी।एड या बीटीसी की डिग्री पाने वालों को नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
टीईटी परीक्षाओं के नतीजों पर लागू होगा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्तर प्रदेश के करीब एक लाख सहायक शिक्षकों की नौकरी बच गई है। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 2011 के बाद से यूपी में हुई सभी टीईटी परीक्षाओं के नतीजों पर लागू होगा।
टीईटी प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। बता दें कि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन निरस्त कर दें। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इसका असर 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था
इसमें चयनित शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि, जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।  इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था।