हिंदू महासभा के नेता को प्रवेश दिलाने पर कांग्रेस को अपनों ने ही घेरा

भोपाल, 26 फरवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही दल बदल का खेल एक बार फिर शुरू हो गया है, मगर इस खेल की शुरूआत में ही कांग्रेस घिर गई है क्योंकि उसने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के भक्त और हिंदू महासभा के पार्षद रहे बाबूलाल चौरसिया को अपने दल का सदस्य बना लिया है। इस दल-बदल से कांग्रेस के लोग ही अपने नेतृत्व पर हमलावर हैं।

राज्य में हर चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर दल-बदल होता है, इस बार भी नगरीय निकाय के चुनाव से पहले भी दल-बदल शुरू हो गया है। मगर यह शुरूआत ही कांग्रेस के लिए गले की फांस बनने लगी है। कांग्रेस ने हिंदू महासभा के ग्वालियर में इकलौते पार्षद रहे बाबूलाल चौरसिया को विधिवत कांग्रेस में शामिल किया है। चैरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद सियासी माहौल में गर्माहट आने लगी है।

यहां हम आपको बता दें कि बाबूलाल चौरसिया वही नेता हैं जिन्होंने ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की प्रतिमा का अभिषेक किया था और उनके खिलाफ कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रकरण भी दर्ज किया गया था।

चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद ही सियासत तेज हो गई है। भाजपा तो हमलावर है ही, अब तो कांग्रेस के नेताओं ने भी तीर छोड़ना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, गोडसे का खुलकर विरोध करने वाले कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की चुप्पी पर सवाल भी उठने लगे हैं।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने चौरसिया के कांग्रेस में शामिल किए जाने पर न केवल सवाल उठाए हैं बल्कि इसके एवज में होने वाले किसी भी राजनीतिक नुकसान के लिए तैयार रहने की भी बात कही है। यादव का कहना है कि, यह मेरा वैचारिक संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ न होकर काग्रेस पाटी की विचारधारा को समर्पित है। इस करने पर भले ही मुझे कोई राजनीतिक क्षति ही क्यों न हो।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने भी चौरसिया के कांग्रेस में प्रवेश पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गोडसे की पूजा करने वाले को कांग्रेस में नही शामिल करना चाहिए था, हम इसके सख्त खिलाफ हैं, इसका विरोध किया जाएगा। लेकिन उन्होंने कमल नाथ का बचाव करते हुए कहा कि कमल नाथ को सारी बातों की जानकारी नहीं होगी, इसलिए कांग्रेस में चौरसिया को शामिल करा दिया गया।

चौरसिया को कांग्रेस में शामिल कराने में अहम भूमिका कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक की रही है। वहीं प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि, चौरसिया ने गोडसे की विचारधारा को त्यागकर गांधी की विचारधारा को अपनाया है, उन्होंने गोडसे की हिंसक विचारधार को छोड़कर बापू की अहिंसक और सत्य की विचारधारा को स्वीकारा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, कांग्रेस हमेशा से ही गोडसे का विरोध करती रही है, मगर उसने गोडसे के समर्थक को ही अपनी पार्टी का सदस्य बनाकर खुद को कटघरे में खड़ा करने का काम किया है। कांग्रेस से चूक तो हुई है, यही कारण है कि पार्टी के कई नेता खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। कांग्रेस को आने वाले दिनों में इस पर जवाब तो देना ही होगा।

–आईएएनएस

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