हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज न किए जाने पर दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार

 नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को राष्ट्रीय राजधानी में कथित रूप से हिंसा भड़काने के मामले में तीन प्रमुख राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एक ‘सचेत निर्णय’ लेने का निर्देश दिया।

 उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने के लिए भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा को गिरफ्तार करने की मांग के साथ दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

इस दौरान न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कहा कि गलत संकेत जा रहा है और इसके लिए एफआईआर दर्ज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम एक और 1984 नहीं चाहते हैं।

अदालत ने एफआईआर दर्ज न किए जाने पर कहा, “हम चाहते हैं कि आप इसे पुलिस आयुक्त को बताएं। आपको बैठकर एक सचेत निर्णय लेना चाहिए। कल वापस आकर हमें बताएं।” मामले की सुनवाई गुरुवार दोपहर 2:15 बजे होगी।

अदालत ने कहा कि एफआईआर दर्ज न होने से गलत संदेश जाता है। इसके व्यापक प्रभाव हैं। भाषण के बाद जो हुआ, उसे रोका जाना चाहिए था।

इस दौरान भाजपा नेता अनुराग ठाकुर की ‘देश के गद्दारों को…’ क्लिप की आवाज कोर्ट रूम में गूंजी अन्य नेताओं के वीडियो क्लिप भी चलाए गए।

अदालत ने कहा कि शहर में काफी हिंसा और त्रासदी हुई है।

अदालत ने पूछा, “आपने (दिल्ली पुलिस) पिछले दो दिनों में 11 एफआईआर दर्ज की हैं। जब इन तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात आती है तो आप ढील क्यों बरत रहे हैं? इसके लिए उपयुक्त समय कौन सा है? शहर जलने के बाद?”

अदालत की कार्यवाही के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ को ‘चयनित आक्रोश’ के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर और गोकुलपुरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थक व विरोधियों के बीच तनाव बढ़ने के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी व खुफिया ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी सहित कई नागरिकों की मौत हो चुकी है।

याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने तीन भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी की मांग करते हुए याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि तीन प्रमुख राजनेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जाने के बाद हिंसा हुई है।