सौंदर्य उत्पादों के लिए पहली बार कन्नौज की सुगंध हुई तैयार

नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। देश में आयुर्वेदिक दवाओं का चलन बढ़ने के साथ ही अब सौंदर्य प्रसाधनों में भी आयुर्वेद उत्पादों का महत्व बढ़ रहा है। इसीलिए पहली बार इन उत्पादों के लिए कन्नौज की सुगंध को तैयार किया है।

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के कन्नौज स्थित सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र ने एमिल फार्मास्युटिकल्स के लिए प्राकृतिक फेस सीरम एवं सुगंध की नई तकनीक को विकसित किया है। इसे लेकर आयुथवेदा नामक आयुर्वेदिक सौंदर्य उत्पादों की श्रृंखला लॉन्च की है।

जानकारी के अनुसार देश में सौंदर्य प्रसाधनों का हजारों करोड़ रुपये का कारोबार है। इनमें सबसे ज्यादा सौंदर्य उत्पाद रसायुक्त होते हैं, जिनके दुष्प्रभावों के बाद हर्बल सौंदर्य उत्पादों का प्रचलन बढ़ा लेकिन हर्बल के नाम पर बहुत कुछ बाजार में बेचा जाने लगा। इसलिए अब आयुर्वेद के औषधीय फार्मूलों पर आधारित सौंदर्य उत्पाद लोगों की पसंद बन रहे हैं।

एमिल फार्मास्युटिक्लस के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि आयुथवेदा के तहत आयुर्वेद में वर्णित जड़ी-बूटियों पर आधारित नुस्खों से त्वचा, बाल, शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल से जुड़े उत्पाद बनाए हैं। इनमें कन्नौज की विशेष सुगंध का इस्तेमाल किया है। इसलिए ये सौंदर्य उत्पाद तो हैं ही इनके औषधीय गुणों के चलते कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाते हैं। जैसे एलोवेरा से बनी सौंदर्य क्रीम त्वचा को हर किस्म के संक्रमण से बचाने में सक्षम है।

उन्होंने बताया कि बालों को झड़ने से रोकने वाले उत्पाद में भृंगराज, शिकाकाई, तुलसी, तिल, काफी बीन्स, पुदीना, सत्व, प्याज, एलोवेरा समेत कुल 42 जड़ी-बूटियां हैं। जबकि महिलाओं के आंतरिक अंगों की स्वच्छता के लिए बने वॉश में ग्रीन टी, एलोवेरा, हरिद्रा, पलाश, माजूफल, आमला और स्फटिक आदि हैं जो अपने विशेष गुणों के कारण जीवाणुओं के संक्रमण को रोकते हैं।

इस प्रकार त्वचा में युवापन बनाए रखने वाली क्रीम में फूलों के अर्क के साथ शुद्ध 24 कैरेट सोने के अंश, कश्मीरी केसर व दुग्ध प्रोटीन को मिलाया गया है। फलों एवं फूलों के अर्क से एक खास फेस वाश बनाया है।

आयुथवेदा के उत्पादों को बाजार में लाने से पूर्व त्वचारोग विशेषज्ञों से जांच कराई जाती है। प्रत्येक उत्पाद पर यह जानकारी लिखी जाती है कि उसमें कौन सी सामग्री कितनी मात्रा में है। यदि किसी उत्पाद में कोई रसायन शामिल भी करना होता है तो वह प्राकृतिक स्रोतों से हासिल किया हुआ होता है। उन्होंने कहा कि यह धारणा सही नहीं है कि आयुर्वेद के सौंदर्य उत्पाद ज्यादा महंगे हैं। लोग इनके दोहरे फायदों से जागरुक होंगे, तो उन्हें यह किफायती लगेंगे।

–आईएएनएस

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