सोशल मीडिया पर लहराया लांडगे समर्थको की बगावत का परचम

हमारी पार्टी सिर्फ और सिर्फ विधायक महेश लांडगे ही के पोस्ट वायरल

पिंपरी। स्थायी समिति अध्यक्ष पद के चुनाव से पिम्परी चिंचवड मनपा की सत्ताधारी भाजपा दोफाड़ की कगार पर खड़ी है। अपने समर्थक को दरकिनार किये जाने से भोसरी के विधायक महेश लांडगे खासे तौर पर नाराज हैं। हालांकि उन्होंने अब तक बीती दोपहर से मचे घमासान पर कोई भूमिका स्पष्ट नहीं की है, मगर उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर बगावत का परचम लहरा दिया है। हमारी पार्टी सिर्फ और सिर्फ विधायक महेश लांडगे ही हैं, इस आशय के पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। ये पोस्ट सत्ताधारी भाजपा के लिए सीधे सीधे तौर पर चुनौती मानी जा रही है।

ज्ञात हो कि स्थायी समिति अध्यक्ष पद के लिए विधायक लांडगे के समर्थक नगरसेवक राहुल लांडगे तीव्र इच्छुक थे। इसकी रेस में भी वे आगे चल रहे थे, मगर बाद में अचानक से वे रेस से बाहर हो गए और विधायक लक्ष्मण जगताप की समर्थक ममता गायकवाड़ को प्रत्याशी घोषित किया गया। इससे नाराज होकर लांडगे समर्थक महापौर नितिन कालजे और राहुल जाधव ने अपने पदों से इस्तीफा दिया है। उनके साथ ही शीतल शिंदे, लक्ष्मण सस्ते और सागर गवली ने भी अपने अपने पदों से इस्तीफ़े दिये हैं। इसी गहमागहमी के बीच विधायक लांडगे के अस्पताल में भर्ती होने की खबर आई। उनके करीबियों का कहना था कि स्थायी समिति सदस्य व अध्यक्ष पद के चुनावों की भागदौड़ में उनकी तबीयत पहले से ही बिगड़ी हुई थी। बीती दोपहर ज्यादा तकलीफ होने लगने से उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हांलाकि विधायक लांडगे ने स्थायी समिति अध्यक्ष पद चुनाव और उनकी तबीयत बिगड़ना महज इत्तेफाक बताया है।

इस पूरे मामले में विधायक महेश लांडगे ने अब तक आधिकारिक तौर पर कोई भूमिका स्पष्ट नहीं की है, मगर उनके समर्थक नगरसेवक सीधे सीधे बगावत में मूड में नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर हमारी पार्टी का नाम सिर्फ विधायक महेश लांडगे है। इतना ही नहीं ये संदेश व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लांडगे समर्थक अपने प्रोफाइल फोटो और स्टेटस के जरिए पहुंचा रहे हैं। इसका सीधा सीधा मतलब निकाला जा रहा है कि, लांडगे समर्थक नगरसेवक भाजपा को नहीं मानते उनकी पार्टी और उनके नेता सिर्फ और सिर्फ महेश लांडगे ही हैं। कुछ पोस्ट में तो मोदी लहर में भी महेश लांडगे के निर्दलीय विधायक चुने जाने की ओर ध्यानाकर्षित करने के साथ ही उनपर और उनके समर्थकों पर हुए अन्याय पर आक्रोश जताया जा रहा है। कुल मिलाकर मनपा में सत्ता पाने एक साल पूरे होते ही भाजपा दोफाड़ की कगार पर आ खड़ी है, इससे पार्टी कैसे निपटेगी? इसकी ओर निगाहें गड़ गई है।