सोनिया ने विनिवेश नीति, पीएसयू बिक्री को लेकर सरकार पर साधा निशाना

नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को विनिवेश नीति को लेकर केंद्र पर जमकर निशाना साधा। सोनिया ने आरोप लगाया कि सरकार देश की संपत्तियों के बड़े हिस्से को अपने पसंदीदा पूंजीपतियों को सौंप रही है।

सोनिया गांधी ने अपने एक लेख में यह आरोप लगाया है, जिसे कांग्रेस ने मीडिया के साथ साझा किया है।

उन्होंने लेख में कहा है कि मोदी सरकार कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को हुए ऐतिहासिक नुकसान की भरपाई के लिए देश की संपत्तियों के बड़े हिस्से को अपने पसंदीदा पूंजीपतियों को सौंप रही है। सरकार ने सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का ऐलान कर घर की पूंजी बेचने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने विनिवेश के बजाय स्पष्ट रूप से निजीकरण को अपनाया है।

सोनिया ने कहा, सरकार की भाषा और शब्दों से इसकी मंशा जाहिर होती है। देश के वित्तीय हालात को संभालने में नाकाम और निवेश को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में अक्षम सरकार ने राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को घबराहट में बेचने का फैसला कर लिया है। सवाल है कि इस बिक्री से कुछ समय के लिए हालात बेहतर दिख सकते हैं, लेकिन क्या इससे जन संपत्ति का दीर्घावधि में नुकसान नहीं हो रहा है?

उन्होंने कहा, इस भारी छूट वाली बिक्री को सरकार इन कंपनियों की क्षमता बढ़ाने और पैसा जुटाने जैसे तर्क देकर और इस पैसे को जन कल्याण कार्यक्रमों में खर्च करने की योजना बताकर न्यायसंगत ठहरा रही है। यह एक कपटपूर्ण तर्क है। हकीकत में होगा यह कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से होने वाला फायदा निजी हाथों में जाएगा, लाभ कमाने वाली और बहुमूल्य कीमत वाली परिसंपत्तियां औने-पौने दामों में पसंदीदा पूंजीपतियों को सौंप दी जाएंगी जो इससे खूब दौलत कमाएंगे। दूसरी तरफ मोटे-मोटे कर्ज लेकर न चुकाने वाले पूंजीपतियों को इस पैसे से राहत दे दी जाएगी।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने अपने लेख में कहा कि विनिवेश (सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी के कुछ हिस्से को बेचकर) अगर सावधानीपूर्वक और रणनीति के तहत किया जाए तो इससे सरकार के लिए संसाधन पैदा होते हैं, इन कंपनियों के प्रबंधन में सुधार आता है और जन कल्याण में पैसे का निवेश बढ़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में विनिवेश का एक मध्यमार्ग सामने रखा था, जिसमें गैर-सामरिक और गैर-महत्व वाली सरकारी कंपनियों में विनिवेश करने की बात थी।

सोनिया गांधी ने कहा कि देश में मौजूदा आर्थिक संकट की जड़ 8 नवंबर, 2016 की दुर्भाग्यपूर्ण रात में घोषित नोटबंदी है। संसद में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दूरदृष्टि वाले शब्दों के अनुसार, इस नोटबंदी ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 2 प्रतिशत का झटका दिया था, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक तौर पर वैश्विक बाजार में तेल की कम कीमतों से सरकार को इसका फायदा आम लोगों तक पहुंचाने का मौका मिलता है, जिससे अर्थव्यवस्था में उपभोग आधारित उछाल आ सके। लेकिन इस अवसर का फायदा उठाने के बजाय मोदी सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर अत्यधिक टैक्स और अधिभार लगाकर हर परिवार के बजट को निचोड़ना शुरू कर दिया। इसके विपरीत सरकार ने 2019 में कार्पोरेट सेक्टर को कर कटौती का तोहफा दिया, जिससे निवेश में तो कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, बल्कि देश के बजट में 1.45 लाख करोड़ रुपये का चूना अलग से लग गया।

–आईएएनएस

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