सेवा विकास बैंक कर्ज घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने दिए दो माह के भीतर सुनवाई पूरी करने के आदेश

पिंपरी। संवाददाता – सेवा विकास को ऑप बैंक में उजागर हुए 238 करोड़ रुपए के कर्ज घोटाले की जांच पर रहे स्थगिति आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दो माह के भीतर सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीआईडी (क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) को सौंपने का आदेश दिया था जिस पर बैंक की ओर से स्थगिति आदेश प्राप्त किया गया है। इस आदेश के खिलाफ लगाई गई गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उक्त आदेश दिया है। इसकी जानकारी बैंक के घोटाले को लेकर पिंपरी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने वाले पूर्व चेयरमैन धनराज आसवानी ने दी है।
सेवा विकास को ऑप बैंक लि. की ओर से पिंपरी थाने में एक डिफॉल्टर कर्जदार सागर सूर्यवंशी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसकी जांच में जुटी पिंपरी चिंचवड़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक श्रीराम पोल ने सहनिबंधक सहकारी संस्था (लेखा परीक्षण) को एक पत्र भेजकर रिपोर्ट मांगी थी। इस पर सहकार आयुक्त सतिश सोनी ने बैंक के लेखापरीक्षण के लिए सहनिबंधक सहकारी संस्था, (लेखा परीक्षण) के आर. यु. जाधवर की नियुक्ति कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। इसकी लेखापरीक्षण रिपोर्ट में बिना जमानत के महत्तम कर्ज की मर्यादा का उल्लंघन जाने, एक करोड़ या उससे ज्यादा की कैश क्रेडिट की सुविधा में भी लापरवाही बरतने जैसी कई गड़बड़ी पायी गई है। इसके अलावा 2010 से 2019 तक बैंक के निदेशक मंडल और प्रबंधन ने मिलीभगत से गलत तरीके से 104 लोगों को करीबन 238 करोड़ रुपए का कर्ज बांटे जाने की बात भी इस रिपोर्ट में साबित हुई है।
आरटीआई के तहत इस रिपोर्ट को हासिल करने के बाद बैंक के भूतपूर्व चेयरमैन धनराज नथुराम आसवानी (58) निवासी गणेशधाम हाउसिंग सोसायटी, फेज 2, पिंपले सौदागर, पुणे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पिंपरी पुलिस ने सेवा विकास बैंक के निदेशकों और प्रबंधन के अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 409, 465, 467, 468, 471, 34 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले की जांच में ढिलाई को लेकर की गई शिकायत पर राज्य सरकार ने सीआईडी जांच के आदेश दिए थे। इस पर हाईकोर्ट से स्थगिति आदेश जारी किया गया है।  इसके विरोध में शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोमवार को इसकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दो माह के भीतर इस मामले में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने के आदेश दिए हैं। एड महेश जेठमलानी ने अपीलकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की।