दिल्ली, मेघालय और गुवाहाटी में हाईकोर्ट पहले से ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सीज कर चुके हैं। अक्टूबर 1993 में, इस अधिनियम के तहत अधिसूचना जारी की गई थी।
अधिसूचना में पांच समुदायों को देशभर में अल्पसंख्यक घोषित किया गया था। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर में सिखों की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यकों का लाभ उठा रही है।
न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. राम सुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की पीठ ने गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।
शीर्ष अदालत में वरिष्ठ वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने इस मामले में उपाध्याय का प्रतिनिधित्व किया।
उपाध्याय ने शीर्ष अदालत का रुख किया है, ताकि हाईकोर्ट से सभी मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की जा सके।
–आईएएनएस
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