सुई दिलाएगी ट्यूमर से निजात

फेफड़े या किडनी में चार सेंटीमीटर तक के ट्यूमर से अब बिना ऑपरेशन निजात मिल जाएगी। ऐसा संभव हुआ है इंटरवेंशनल रेडियॉलजी में शुरू हुई पिन होल तकनीक की मदद से। यह तकनीक दूरबीन विधि से कहीं अडवांस है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पद्धती में स्किन पर कोई दाग नहीं आता और महज 24 घंटे बाद मरीज डिस्चार्ज हो जाता है। लखनऊ स्थित पीजीआई में चल रहे इंडियन सोसायटी वस्कुलर ऑफ इंटरवेंशनल रेडियॉलजी के 20वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन डॉ शुव्रो रॉय ने इस बात की जानकारी दी।

पिन होल तकनीक
डॉ.रॉय ने बताया कि पिन होल तकनीक में मेडिकेटेड पिन को स्किन से ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद पिन की मदद से ट्यूमर को जला दिया जाता है। इस पद्धति में साइड इफेक्ट काफी कम होता है। वर्तमान में यह सुविधा लखनऊ पीजीआई में ही है। वहीं, पीजीआई के रेडियॉलजी विभाग के एचओडी डॉ राजेन्द्र फड़के ने बताया कि लंबे समय तक बैठे रहने से कई बार खून की नस में थक्का जम जाता है। इससे जान को खतरा तक हो सकता है। ऐसे में गोल्डन पीरियड में थक्का निकाला जाना जरूरी होता है। आमतौर में एंजियोप्लास्टी करनी पड़ती है, हालांकि अब सेंक्शन थ्रॉमबेकटॉमी तकनीक से इलाज सम्भव है।

ब्रेन हैमरेज में सर्जरी जरूरी नहीं
पुणे से आए डॉ. रोचन पंत ने बताया कि इंडोवस्क्युलर इमेज सेंटर से ब्रेन हैमरेज पीड़ित का इलाज होने लगा है। इसमें सिर के ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती। कैथेटर की मदद से प्रभावित नस बंद कर ब्लीडिंग रोक दी जाती है।

रीढ़ की हड्डी टूटने पर इलाज
मुम्बई के डॉ. गिरीश ने बताया रीढ़ की हड्डी टूटने पर कई बार ऑपरेशन सम्भव नहीं होता। ऐसे में मरीज दर्द से तड़पता रहता है। इस परिस्थिति में भी इंटरवेन्शनल रेडियॉलजी बेहद कारगर है। इसमें कैथेटर के जरिए टूटी हड्डी को एक विशेष प्रकार के फिक्सर से जोड़ दिया जाता है। ऐसे में हड्डी हिलती नहीं और दर्द से राहत मिल जाती है।