सीमा संघर्ष : शाह ने असम, मिजोरम के मुख्यमंत्रियों से शांति बनाए रखने की अपील की

सिलचर (असम)/आइजोल, 27 जुलाई (आईएएनएस)। असम-मिजोरम सीमा विवाद सोमवार को हिंसक हो गया और हिंसा के दौरान असम पुलिस के पांच जवान शहीद हो गए। अब स्थिति में सुधार के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से फोन पर बात की है।

शाह ने उनसे शांति बनाए रखने और लोगों की रक्षा करने का आग्रह किया है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जो मंगलवार को सीमा क्षेत्र में पहुंचे, ने कहा कि राज्य के आरक्षित वन की रक्षा के लिए, उनकी सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और अंतर-राज्यीय सीमा पर 4,000 कर्मियों वाली तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगी।

उन्होंने कहा कि असम आने वाली पीढ़ियों के लिए किसी भी कीमत पर मिजोरम सीमा पर अपने क्षेत्र और आरक्षित वन की रक्षा करेगा।

शहीद हुए पांच पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने उनके परिजनों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये के अलावा सीमा पर गोलीबारी और संघर्ष में घायल हुए 42 पुलिसकर्मियों और नागरिकों को एक लाख रुपये देने की घोषणा की।

सरमा ने कहा कि शाह के निर्देश पर केंद्रीय गृह सचिव आलोक भल्ला दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों से मुलाकात करेंगे।

सोमवार को दूसरी ओर से की गई गोलीबारी का जिक्र करते हुए सरमा ने मिजोरम के अपने समकक्ष जोरमथांगा से इस पर बात की जांच करने का आग्रह किया कि कैसे नागरिकों का एक वर्ग अत्याधुनिक हथियारों को रखे हुए है और उनका उपयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा, अगर मिजोरम के नागरिक अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद रखे हुए हैं, तो यह न केवल असम के लिए बल्कि मिजोरम के लिए भी खतरनाक होगा।

उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उनकी सरकार असम में मिजो लोगों, व्यापारियों और छात्रों को सुरक्षा प्रदान करेगी।

भावुक मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ कई बैठकें करने के बाद मीडिया से कहा, हम मिजोरम की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं करेंगे और हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन उन्हें हमारे क्षेत्र का एक इंच भी कब्जा नहीं करने देंगे।

सरमा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने शनिवार को शिलांग में पूर्वोत्तर राज्यों के सभी आठ मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के दौरान घोषणा की थी कि भारत के अगले साल आजादी के 75 साल पूरे होने से पहले अंतरराज्यीय सीमा विवाद सुलझा लिए जाएंगे।

सैटेलाइट इमेजरी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह कई दस्तावेजों और सबूतों से स्पष्ट है कि असम की आरक्षित वन भूमि पर मिजो लोगों का कब्जा है, जो वन संसाधनों को नष्ट करते हैं।

उन्होंने दावा किया, ऐसा हो सकता है कि असम सरकार द्वारा म्यांमार से मिजोरम और असम के रास्ते भारत के अन्य हिस्सों में नशीली दवाओं के व्यापार की श्रृंखला को बंद करने के बाद मिजोरम में कुछ लोग नाराज हैं।

असम सरकार के एक बयान में कहा गया है कि मिजोरम की ओर से अकारण गोलीबारी की गई, जिसमें पांच पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, जिसमें एक सब-इंस्पेक्टर भी शामिल है और कई अन्य सुरक्षा कर्मियों को चोटें आई हैं। बयान में कहा गया कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में मिजोरम पुलिस और अधिकारियों से असम की तरफ अनधिकृत निर्माण को खत्म करने का अनुरोध किया था।

बयान के अनुसार, असम के अधिकारियों को अचानक मिजोरम की ओर से बदमाशों की भीड़ ने हथियार लहराते हुए घेर लिया और उन पर हमला किया। वे हेलमेट पहने हुए थे और उनका मिजोरम पुलिस द्वारा स्पष्ट रूप से समर्थन किया गया था।

इसमें कहा गया है कि भीड़ ने असम के अधिकारियों पर पथराव किया और उपायुक्त की कार सहित तीन वाहनों को नष्ट कर दिया। मिजोरम पुलिस ने एक साथ प्रतिनिधिमंडल पर आंसू गैस के गोले दागे। इसमें आईजीपी घायल हो गए।

बयान के अनुसार, भयावह रूप से, जब एसपी, कोलासिब जिला (मिजोरम) असम के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थे, मिजोरम पुलिस ने असम के अधिकारियों और नागरिकों पर, जो तब तक वहां जमा हो चुके थे, लाइट मशीन गन सहित स्वचालित हथियारों से गोलियां चलाईं।

वहीं दूसरी ओर, मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने कहा कि एक आईजीपी के नेतृत्व में और कछार के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक एवं संभागीय वन अधिकारी के साथ असम पुलिस के लगभग 200 कर्मी सोमवार को वैरेंगटे ऑटो-रिक्शा स्टैंड पर आए, सीआरपीएफ कर्मियों की चौकी को जबरन पार किया और मिजोरम पुलिस कर्मियों द्वारा संचालित एक ड्यूटी पोस्ट पर कब्जा कर लिया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि असम पुलिस ने वैरेंगटे और लैलापुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करने वाले कई वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।

उन्होंने एक बयान में कहा, मिजोरम पुलिस ने असम पुलिस पर जवाबी फायरिंग की, जबकि कोलासिब जिले के एसपी उस समय भी सीआरपीएफ ड्यूटी कैंप के अंदर असम पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मिजोरम सरकार उसके क्षेत्र में इस घुसपैठ और आक्रमण के असम सरकार के अन्यायपूर्ण कृत्य की कड़ी निंदा करती है।

असम पुलिस के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर से 164.6 किलोमीटर की सीमा पर कई अंतर-राज्यीय सीमा झड़पें हुई हैं, जिसमें एक व्यक्ति की मौत और 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा सरकारी स्कूलों सहित सीमा पर स्थित दुकानों और घरों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।

असम के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि मिजोरम की सीमा से लगे तीन जिलों में 1,777 हेक्टेयर वन भूमि पर मिजो लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है, लेकिन मिजोरम के मुख्य सचिव ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये भूमि मिजोरम के सीमावर्ती गांवों के निवासियों के पास 100 से अधिक वर्षों से है, इसलिए अतिक्रमण का सवाल ही नहीं उठता।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि इस महीने की शुरूआत में असम पुलिस ने कोलासिब के बुआर्चेप में मिजो किसानों की फसल को नष्ट कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री, गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के हस्तक्षेप के बाद पिछले साल असम-मिजोरम सीमा की समस्याओं को नियंत्रित किया गया था मगर इसके बाद फिर से ताजा परेशानियों को रोकने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सीमा पर तैनात किया गया है।

अब 29 जून के बाद से, दोनों राज्यों ने मिजोरम के वैरेंगटे के पास ऐतलांग हनार में एक-दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगाया है और दोनों प्रदेशों के बीच तनाव फिर से शुरू हो गया है।

असम छह अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के साथ सीमा साझा करता है और उसका चार राज्यों के साथ सीमा विवाद है, जिनमें मिजोरम के अलावा नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय शामिल है। झड़पों के बाद स्थिति पर काबू पाने और शांति बनाए रखने के लिए केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों को सीमाओं पर तैनात किया गया है।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम