सालभर बाद ही सही भाजपा ने ली पूर्व महापौरों की सुध

पिम्परी: पुणे समाचार

शहर विकास में भूतपूर्व महापौरों के अनुभव, उनकी सलाह, उनके सूझावों को उपयोग में लाया जा सके, इसके लिए उनकी बैठक आयोजित करने की एक परंपरा है। तत्कालीन सत्ताधारी राष्ट्रवादी कांग्रेस के कार्यकाल में ऐसी बैठकें साल में दो से तीन बार होती रही। पिम्परी चिंचवड़ मनपा में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के अब तक के कार्यकाल में यह परंपरा खंडित रही। हांलाकि साल भर बाद क्यों न हो? सत्ताधारी दल ने पूर्व महापौरों के बैठक की सुध ले ही ली। आज हुई पहली बैठक में महापौर नितिन कालजे ने हर तीन माह में बैठक लेने का भरोसा दिलाया।

पिम्परी चिंचवड़ शहर में मनपा की स्थापना से लेकर अब तक 23 महापौर हुए, भाजपा के पहले महापौर साबित नितिन कालजे शहर के 24वें महापौर है। पूर्व महापौरों के अनुभव, सलाह, सुझावों को शहर विकास में इस्तेमाल में लाया जा सके, इस उद्देश्य से उनकी बैठक आयोजित करने की परंपरा रही है। भाजपा की सत्ता आने से पहले साल में दो या तीन ऐसी बैठकें होती रही। 2015 याने राष्ट्रवादी कांग्रेस के कार्यकाल से पूर्व महापौरों की बैठक नहीं हुई। गत वर्ष सत्ता परिवर्तन के बाद तो मानो यह परम्परा ही खंडित हो गई। सोमवार को महापौर नितिन कालजे की पहल में पहली बैठक सम्पन्न हुई।

मेट्रो में पिम्परी चिंचवड़ का नाम क्यों नहीं?

इस बैठक में उंगलियों पर गिने जा सके इतने ही पूर्व महापौर मौजूद रहे। इनमें शहर के प्रथम महापौर ज्ञानेश्वर लांडगे, पूर्व महापौर तात्या कदम, आरएस कुमार, रंगनाथ फुगे, अपर्णा डोके, अनिता फरांदे, हनुमन्त भोसले शामिल रहे। बैठक में मेट्रो परियोजना में अकेले पुणे के नाम का समावेश रहने पर पूर्व महापौरों ने कड़ी नाराजगी जताई औऱ पुणे की भांति पिम्परी चिंचवड़ शहर के नाम के समावेश करने की सलाह दी। इस पर गौर करने के साथ ही हर तीन माह में पूर्व महापौरों की बैठक आयोजित करने का भरोसा महापौर कालजे ने दिलाया। बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।