सत्ता देखकर साथ बदलते हैं नरेश अग्रवाल

राजनीति में कब क्या हो जाए, इसकी भविष्यवाणी तो शायद भगवान भी नहीं कर सकते। कल तक साइकिल पर सवार होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे शब्दबाण छोड़ने वाले नरेश अग्रवाल अब उन्हीं की पार्टी यानी भाजपा के चहेते बन गए हैं। कल जो भाजपा उन्हें देशविरोधी लगती थी, आज वही उनके लिए देशहित में काम करने वाली एकमात्र पार्टी बन गई है। अपने चार दशक के सियासी सफर में अग्रवाल ने तकरीबन सभी सियासी पार्टियों का हाथ थामा। 1980 में कांग्रेस से शुरू हुआ यह सिलसिला अब भाजपा की दहलीज तक पहुंच चुका है और यहाँ से कहां जाएगा कुछ नहीं कहा जा सकताl

सबका साथ अपना विकास
1980 से लेकर 2012 के दौरान नरेश अग्रवाल उत्तर प्रदेश की हरदोई विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे। 1997 में जब कल्याण सिंह सरकार विश्वास मत साबित करने के लिए जूझ रही थी, उस दौरान नरेश ने भाजपा का साथ देकर उससे नजदीकियां बढ़ाईं। नरेश ने उस वक्त जगदंबिका पाल, श्याम सुंदर शर्मा और हरिशंकर तिवारी जैसे कांग्रेसी नेताओं के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के नाम से पार्टी भी बनाई थी। इसके बाद नरेश अग्रवाल कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में ऊर्जा मंत्री के पद पर रहे।

मायावती भावी प्रधानमंत्री
2003 में जब मायावती को सत्ता से हटाकर मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने, तो नरेश को पुन: पर्यटन मंत्री बनाया गया। 2004 से 2007 तक उन्होंने यूपी के परिवहन मंत्री का प्रभार संभाला। बाद में वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और संसद की कई कमिटियों में रहे। हालांकि मई 2008 में एक बार फिर नरेश का सपा से मोहभंग हुआ और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा का हाथ थाम लिया। बसपा ने अग्रवाल को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया। उस वक़्त नरेश ने मायावती को देश की भावी प्रधानमंत्री बताया था।

पार्टी के साथ बदलते रहे विचार 
नरेश के बेटे नितिन अग्रवाल अभी हरदोई सीट से एसपी विधायक हैं और राज्यसभा चुनाव में उनका सपा के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करना तय माना जा रहा है। नरेश ने भाजपा में शामिल होते हुए इसका ऐलान भी किया। नरेश अग्रवाल आम तौर पर सत्ता के साथ रहने वाले नेता के रूप में मशहूर हैं। राज्यसभा चुनाव में जब जया बच्चन को तवज्जो देते हुए सपा ने उनका पत्ता कटा, तभी से चर्चाएं शुरू हो गईं थीं कि अब वह साइकिल की सवारी छोड़ने वाले हैं। कमल थामते वक़्त नरेश ने कहा कि वह भाजपा और मोदी की विचारधारा एवं नीतियों से प्रेरित हैं। इससे पहले जब वह सपा छोड़कर बसपा में गए थे तब उनका कहना था कि समाजवादी पार्टी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के विचारों को त्याग चुकी है और वहां पूंजीपतियों का बोलबाला हो गया है।