संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कश्मीर, एनआरसी का जिक्र किया

जेनेवा, 9 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र के अपने शुरुआती संबोधन में कश्मीर मुद्दे और असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) का जिक्र किया। उन्होंने 35 से ज्यादा देशों को संदर्भित करने के दौरान भारत का भी नाम लिया और पाकिस्तान का संदर्भ केवल कश्मीर को लेकर दिया, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, बलूचिस्तान या गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर कोई जिक्र नहीं किया।

चीन के संदर्भ में उन्होंने केवल मौजूदा हांगकांग प्रदर्शनों का मामला उठाया और तिब्बत में तिब्बती बौद्धों और झिंजियांग प्रांत में मुस्लिमों की स्थिति को नजरअंदाज कर दिया।

कश्मीर के संदर्भ में उन्होंने भारत सरकार की हाल की कार्रवाइयों का कश्मीरियों के मानवाधिकारों पर हुए असर पर गहरी चिंता जताई। इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेट, शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने पर पाबंदी और स्थानीय राजनेताओं व कार्यकर्ताओं की नजरबंदी पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा, “मैं भारत व पाकिस्तान सरकार से हमेशा मानवधिकारों की सुरक्षा और आदर करने का आग्रह करती हूं। मैंने खासकर भारत से मौजूदा कर्फ्यू या नजरबंदी में ढील देने की अपील की है, ताकि लोग मूल सेवाओं का लाभ उठा सकें और जिन्हें हिरासत में लिया गया है, उनके अधिकार सुनिश्चित हो सकें।”

मिशेल ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि कश्मीर के लोगों से बात की जाए और ऐसे सभी निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, जो उनके भविष्य पर प्रभाव डालेगा।”

उन्होंने इसके साथ ही असम में एनआरसी का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा, “भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में सत्यापन की प्रक्रिया से अनिश्चितता और व्यग्रता की स्थिति पैदा हो गई है। 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम सूची से लगभग 19 लाख लोग बाहर हो गए हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं सरकार से अपील करती हूं कि अपील प्रक्रिया के दौरान उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करे, निर्वासन या नजरबंदी को रोकें और यह सुनिश्चित करें कि लोग किसी देश का नागरिक न होने वाली स्थिति(स्टेटलेसनेस) से बचें।”

जुलाई में भी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय से जारी रिपोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाया गया था, वहीं रिपोर्ट में पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को लेकर नरमी देखी गई, जहां मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं।