शीर्ष अदालत ने कर्नाटक विधानसभा से पूछा, इस्तीफे स्वीकार क्यों नहीं किए

 नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष से पूछा कि वह जनता दल-सेकुलर (जद-एस) और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार के बागी विधायकों द्वारा छह जुलाई को दिए गए इस्तीफे स्वीकार करने या न करने के लिए किस कारण रुक गए।

 मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से स्पष्ट जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने पूछा, “आप तब तक शांत रहे जब तक विधायकों ने अपना इस्तीफा सर्वोच्च न्यायालय भेज दिया.. क्यों?”

इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने उस घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया है।

मुख्य न्यायाधीश ने पलटवार करते हुए उनसे पूछा कि विधायक जब अपना इस्तीफा लेकर अध्यक्ष के पास गए तो उन्होंने निर्णय क्यों नहीं लिया, जिसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि यह एक लिखित संवाद है और उस दिन अध्यक्ष वहां मौजूद नहीं थे।

अदालत ने कहा, “लेकिन यह निर्णय उन्हें छह जुलाई को बताया गया था।”

सिंघवी ने कहा कि विधायकों ने पहले 11 जुलाई को अध्यक्ष से व्यक्तिगत मुलाकात की, नियम के मुताबिक उन्हें अध्यक्ष के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होना था।

उन्होंने कहा, “विधायकों द्वारा दिए गए सामान्य इस्तीफे की पहली शर्त है कि उसे स्पीकर के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।”

अदालत ने कहा कि प्रावधान में पत्र द्वारा इस्तीफा देने पर नजरंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन विधायकों ने अगर अध्यक्ष से 11 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से बात की है तो भी उन्हें विधायकों के इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना है।

अदालत ने कहा, “यह 11 जुलाई को क्यों नहीं हुआ?”

मुख्य न्यायाधीश ने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के लिए कहा कि “आप अदालत की न्यायिक शक्तियों पर सवाल नहीं उठा सकते।”