शहरी स्वच्छता पर ध्यान शहरी विकास के लिए जरूरी : हरदीप सिंह पुरी

 नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को ‘भारत में शहरी स्वच्छता का भविष्य’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया।

 सम्मेलन का उद्घाटन आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया। पुरी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में शहरीकरण की दर और वृद्धि को कम आंकने की सामान्य प्रवृत्ति रही है। वर्ष 2030 तक भारत में शहरी आबादी 600 मिलियन के करीब होगी, जो देश की 40 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करेगी। शहरी क्षेत्र का जीडीपी में 70 प्रतिशत, कुल कर राजस्व में 85 प्रतिशत और 70 प्रतिशत नौकरियों में योगदान होगा। आज भारत 2.8 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था है और 2024 तक हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे। इसके लिए तैयारी करना आवश्यक है, शहरी स्वच्छता को ध्यान में रखे बिना शहरी विकास की अवधारणा नहीं की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तहत शहरी विकास पर भारी प्रभाव पड़ा है। 2004 से 2014 के बीच, शहरी बुनियादी ढांचे में खर्च 175 हजार करोड़ था। जून 2015 से शहरी खर्च में छह गुना वृद्धि हुई है जो आज लगभग 970 हजार करोड़ रुपये है।

सफाई कर्मचारियों के कल्याण के बारे में उन्होंने कहा कि हाथ से कूड़ा ढोने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने से प्रथा को समाप्त करना संभव नहीं है। इसलिए सुरक्षा कर्मियों को सुरक्षा गियर प्रदान करने, अनुबंधों में धारा जोड़ने, मजबूत कानूनों को बनाए रखने और उनके सामाजिक उत्थान में सहायता करना महत्वपूर्ण है।

परमेस्वरन अय्यर, सचिव, जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल व स्वच्छता विभाग ने कहा कि स्वच्छता, विशेषकर स्वच्छ भारत मिशन से शहरी-ग्रामीण विभाजन को सीखने के लिए कई सबक हैं। इस कार्यक्रम को पीएम ने अपने पहले स्वतंत्रता भाषण में व्यक्तिगत रूप से शामिल किया था। पिछले पांच वर्षों में, लोगों की भागीदारी को वास्तव में एक जनांदोलन के रूप में सामने लाया गया है।