शहनाई तो उनकी बेगम…

गूगल मना रहा है उस्ताद बिस्मिल्ला खान की 102वीं जयंती खास डूडल के साथ

नईदिल्ली: समाचार एजेंसी

सर्च इंजन की दुनिया में सबसे बड़े नाम गूगल ने आज शहनाई के शहँशाह उस्ताद बिस्मिल्ला खान की 102वीं जयंती पर उन्हें नमन करते हुए खास डूडल बनाया है। शहनाई के पर्यायवाची बन चुके उस्ताद जी को गूगल के बैकड्रॉप पर ज्यामितिय आकारों में उनके वाद्य शहनाई के साथ देखा जा सकता है। चैन्नई के इल्यूस्ट्रेटर और डिज़ाइनर विजय कृश ने बड़ी सहज़ता और सुंदरता से इस डूडल को बनाया है। शहनाई के प्रति बिस्मिल्ला खाँ साहब का प्यार इस डूडल में दिखता है। स्वयं उस्ताद कहते थे कि शहनाई तो उनकी बेगम है।

जैसा कि सर्वविदित है हर साल गणतंत्र दिवस समारोह का आगाज़ उस्ताद जी की शहनाई के साथ ही होता था। उनकी शहनाई भारत को जब आज़ादी मिली थी तब सन् 1947 में भी गूँजी थी और हमारे गणतंत्र दिवस के प्रथम वर्ष 1952 में भी।

डूडल पेज ने उस्ताद जी की संगीतकार के रूप में यात्रा को दर्शाया है। माना जाता है कि उस्तादजी ने 14 वर्ष की आयु से शहनाई वादन प्रस्तुत करना प्रारंभ कर दिया था। पर उसकी औपचारिक शुरुआत कोलकाता में वर्ष 1937 को हुए आकाशवाणी के अखिल भारतीय संगीत समारोह से हुई। तीन दशकों बाद जब उन्होंने एडिनबर्ग संगीत महोत्सव में शहनाई बजाई तो जैसे शहनाई को वैश्विक श्रोता मिल गए। तब से सैकड़ों-हज़ारों-लाखों संगीत प्रेमियों के मन में शहनाई मतलब बिस्मिल्ला खान साहब ही हो गई। ज्ञातव्य है कि उस्ताद बिस्मिल्ला खान प्रतिष्ठित पद्म भूषण, पद्म विभूषण, पद्म श्री और भारत रत्न से नवाज़े जा चुके हैं।