शरद पवार के गढ़ में खिला ‘कमल’

पुणे, एक तरफ राज्य में पुन: सत्ता पाने के लिए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार व सांसद सुप्रिया सुले पूरे राज्य में ‘हल्लाबोल’ करते हुए दौरा करने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर पवार के अपने गढ़ में राष्ट्रवादी कांग्रेस को करारा झटका लगा है। बारामती तालुका की मालेगांव बुद्रुक ग्रामपंचायत के सरपंच पद के चुनाव में भाजपा के जयदीप विलास तावरे ने राष्ट्रवादी के राजेंद्र चव्हाण को एक वोट से हराकर पटखनी दी है। पवार के अपने गढ़ में मिली शिकस्त सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि खुद शरद पवार निवासस्थान ‘गोविंदबाग’ इसी ग्रामपंचायत की सीमा में आता है।
यह शिकस्त पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के लिए जोरदार झटका साबित हुई है क्योंकि बारामती की स्थानीय राजनीति के सूत्र उनके हाथों में है। मालेगांव चीनी मिल की सत्ता तो तीन साल पूर्व ही भाजपा के रंजन तावरे ने पवार से छीन ली है। उसका बदला पवार ने जिला परिषद के चुनाव में तावरे परिवार के सदस्य को हराकर लिया। अब तावरे ने पलटवार करते हुए मालेगांव ग्रामपंचायत के सरपंच पद के चुनाव राष्ट्रवादी को पटखनी दी और अपने भतीजे जयदीप को जीत दिलाई। बीते ढाई वर्ष सरपंच पद पर जयदीप ही थे मगर गत वर्ष 26 दिसंबर को अजीत पवार के कहने पर उन्होंने इस्तीफा दिया था। यह पद राष्ट्रवादी के पास रहे, इसके लिए पवार प्रयासरत थे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस को भुलावे में रखते हुए सरपंच पद के चुनाव के लिए राष्ट्रवादी के सदस्य अशोक सस्ते, विजयमाला पैठणकर, रविंद्र वाघमोडे को भाजपा के खेमे दाखिल कराया। इसके बाद बहुमत के लिए जरुरी नौ वोटों के लिए सदस्यों को गायब करवा दिया। भाजपा की ओर से अशोक सस्ते को सरपंच पद देने पर चुनाव निर्विरोध कराने का प्रस्ताव दिया गया, मगर राष्ट्रवादी ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी। नतीजन चुनाव के मैदान में भाजपा की ओर से जयदीप तावरे, अशोक सस्ते और राष्ट्रवादी की ओर से राजेंद्र चव्हाण रह गए। एक वोट से चव्हाण को हार का सामना करना पड़ा। 20 साल पूर्व मार्केट कमिटी का अध्यक्ष बनाने का भरोसा दिलाकर अजीत पवार ने धोखाधड़ी की थी। जयदीप सरपंच बना रहे, यह भी वे नहीं चाहते थे। हांलाकि सदस्यों की एकजुटता ने बारामती में भी पवार के वर्चस्व को भाजपा आघात पहुंचा सकता है, यह साबित हो गया, ऐसा रंजन तावरे ने बताया।