वे स्कूल बंद नहीं किए गए : विनोद तावड़े

मुंबई : प्रदेश के जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम थी उन्हें बंद नहीं किया गया बल्कि पास के एक किलोमीटर की दूरी के अन्य स्कूलों में उनका समावेश किया गया है। इसका लाभ छात्रों को हुआ है और उनके गैदरिंग, पिकनिक आदि साथ-साथ होने से सभी छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास हो रहा है। यह दावा किया है स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने।

इन स्कूलों के बारे में केंद्र सरकार के रैशनल ऑफ़ स्मॉल स्कूल के परिपत्र के अनुसार निर्णय लिया गया है। यूनिसेफ के दिशा-निर्देशों के आधार पर भी सुधार किए गए हैं। इस आधार पर 1292 स्कूलों का चयन कर जिन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 12 से भी कम है वहाँ के जिलाधिकारी, शिक्षा अधिकारी से चर्चा की गई है। उसमें से 568 स्कूलों को एक किमी की दूरी के अन्य स्कूलों में समाहित किया गया है जबकि 343 स्कूलों को समाहित करना शेष है।

विधान सभा में 293 विपक्षी नेताओं ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर अपनी राय रखी। अजित पवार, राधाकृष्ण विखे-पाटील, बाला साहेब थोरात, दिलीप वलसे-पाटील, जयदत्त क्षीरसागर, सुनिल प्रभु आदि सदस्यों ने विषय का प्रवर्तन किया। बताया गया कि ब्रिटिश सरकार और टाटा सोशल साइंस के माध्यम से प्रदेश के स्कूलों में अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई का कार्य किया जा रहा है। शिक्षकों को भी उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक माध्यमिक स्कूलों के 15 हज़ार स्कूलों को ट्रेनिंग दी गई है। वहीं मातृभाषा में पढ़ाई का यह लाभ हो रहा है कि स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। अंग्रेजी माध्यम से फिर मराठी माध्यम में पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों की संख्या लगभग 25 हज़ार है।

गणित का अभ्यास खेल-खेल में हो सके इस उद्देश्य से आईआईटी के माध्यम से नई तकनीक अमल में लाई जा रही है। छात्रों को बंद कमरों के बाहर ले जाकर वास्तविक दुनिया से अवगत कराते हुए शिक्षा देने वाले शिक्षकों को भी पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जहाँ पहले स्कूल छोड़ कर जाने वाले छात्रों का प्रतिशत 11.30 था वह अब घटकर 6.55 हो गया है। इनमें भी स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या में 6.61 प्रतिशत की कमी आई है। उम्मीद है कि अगले तीन सालों में यह पाँच प्रतिशत तक हो जाएगा। ग्रामीण इलाकों के छात्रों को भी स्कूल न छोड़ना पड़े इसके लिए कोशिश की जा रही है। जो छात्र 26 जनवरी को एनएनसी कैडेट के रूप में दिल्ली की परेड में भाग लेने जाते हैं, अपने कला गुणों का प्रदर्शन करते हैं, देश-विदेश में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में जाते हैं उन्हें 25 अंक अतिरिक्त देने का निर्णय लिया गया है।

प्रदेश के 96 प्रतिशत स्कूलों में स्वच्छतागृह है और इन सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए भी अलग से स्वच्छतागृह हैं। केवल स्वच्छतागृह न होने से स्कूल छोड़ने की नौबत अब स्कूली छात्र-छात्राओं पर नहीं आएगी। इसी के साथ सरकारी स्कूलों का बिजली का बिल भी प्रदेश सरकार द्वारा अब से वहन किया जाएगा। सन् 2012-13, 13-14 में स्कूलों को बिल नहीं मिले थे।

उन्होंने जानकारी दी कि आरटीई कानून के तहत प्रदेश के 60-70 हज़ार छात्रों ने आवेदन किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी से मुलाकात कर राशि स्वीकृत की गई है उसमें से 164 करोड़ रुपए की पहली राशि का वितरण स्कूलों को किया गया है और शेष 138 करोड़ रुपए लंबित है। उसका वितरण भी शीघ्र किया जाएगा। स्कूल के बस्तों का बोझ कम करने के लिए एसएससी, सीबीएससी, आईसीएसई बोर्ड से चर्चा की जा रही है। गैर अनुदान प्राप्त स्कूल इस खंड को ही हटाया जा रहा है अब उन स्कूलों को भी 20 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। अगली किश्त भी जल्दी ही उनके खाते में जमा की जाएगी।