विश्‍व श्रवण दिवस : श्रवण दुर्बलता के बारे में जागरूकता हेतु पुणे में डॉक्टरों ने लिया श्रुति का सहयोग

पुणे : विश्‍व श्रवण दिवस के अवसर पर पुणे में डॉक्टरों ने श्रवण दुर्बलता और कान संबंधी अन्य संक्रमणों के बारे में जागरूकता फैलाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई। गौरतलब है कि भारत में लगभग 75 मिलियन लोग, यानी भारतीय जनसंख्या का 6% हिस्सा इस तरह की समस्याओं से पीड़ित है। अनुमान के मुताबिक महाराष्ट्र में 6% लोग कान में संक्रमण के शिकार हैं जिन्हें कान की उत्तम देखभाल मुहैया करने की अत्यंत आवश्यकता है।

पुणे में डॉक्टर्स श्रुति नामक कार्यक्रम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह मेडिट्रॉनिक द्वारा संचालित एक जन जागरूकता पहल है। इस पहल का लक्ष्य भारत में कान के गंभीर रोग और निवार्य श्रवण लोप के प्रति अतिसंवेदनशील सुविधाहीन मरीजों की चेतना, निदान, उपचार और पुनरुद्धार के लिए एक स्व-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और प्रबंधन करना है। देखभाल के लिए मुख्य रूप से ईएनटी (कान-नाक-गला) डॉक्टर के साथ यह कार्यक्रम प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी (सीएचडब्लू) के माध्यम से संचालित हो रहा है जो ईएनटी डॉक्टर के अधीन काम करते हैं और “इनटीरेव्यू” नामक कान जाँचने की किट से सुसज्जित रहते हैं। ये सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी लोगों के घर जाकर या सामुदायिक शिविरों में उनके कान की जाँच करते हैं। तात्कालिक निदान में रोगग्रस्त पाए गए मरीजों को कम कीमत पर आगे की जाँच, दवाएँ, ऑडियोमेट्रिक जाँच, ऑपरेशन और श्रवण यंत्र सहित उपचार के लिए डॉक्टर के पास भेजा जाता है।

विश्‍व श्रवण दिवस के अवसर पर पुणे में डॉ. अमोल जोशी, एचओडी, ईएनटी विभाग, साईदीप होस्पिटल ने कहा कि, “देखा गया है कि महाराष्ट्र में लगभग 6% आबादी श्रवण संबंधी किसी न किसी संक्रमण से पीड़ित है, जिन्हें प्रथमिकता के आधार पर उपचार की आवश्यकता है। श्रुति के इस अद्वितीय प्रोग्राम द्वारा सुविधाहीन मरीजों में जागरूकता, निदान एवं उपचार के माध्यम से कान के चिरकालिक संक्रमण के प्रसार को रोकने का प्रयास किया जाता है।  श्रुति की सामझीदारी में हमें इस समस्या का शीघ्र निदान करने और मरीजों को सही समय पर अति आवश्यक उपचार मुहैया करने में सफलता मिलेगी।”

कभी-कभी लोग श्रवण संबंधी समस्याओं को सामाजिक कलंक के रूप में देखने लगते हैं और जरूरी उपचार नहीं कराते, जो एक खतरनाक लक्षण है। श्रुति कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों को समझाते हैं और कान में संक्रमण की जाँच के लिए जाँच शिविरों का आयोजन करते हैं। कान की उचित देखभाल करना जरूरी है और लोगों को नियमित रूप से स्वयं आगे बढ़कर अपने कान की जाँच करानी चाहिए और इस तरह संक्रमण से बचना चाहिए, जिसका इलाज नहीं कराने पर श्रवण क्षमता समाप्त हो सकती है।

भारत में श्रुति के कार्यक्रम फिलहाल 18 शहरों में 25 अस्पतालों में संचालित हो रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3,90,000 से अधिक लोगों की जाँच की जा चुकी है जिनमें 30% लोगों को कान संबंधी किसी न किसी देखभाल की आवश्यकता है, लगभग 8% लोगों को चिकित्सा एवं ऑपरेशन दोनों की आवश्यकता है और 3%-5% लोगों को श्रवण उपकरण की आवश्यकता है। श्रुति के कार्यक्रम के माध्यम से अभी तक काफी कम लागत में लगभग 8,000 लोगों का सुधारक उपचार किया गया है, जो सामान्य स्थिति में उनकी क्षमता के बाहर होता।

महाराष्ट्र में यह कार्यक्रम वर्ष 2015 से चल रहा है और फिलहाल तीन शहरों पर जारी है। अभी तक 20,000 से अधिक लोगों की जाँच की गई है जिनमें से 9,700 लोगों को उपचार के लिए भेजा गया है और 2,000 लोगों के लिए आवश्यक मध्यवर्तन किया ​​गया है।