विरोधियों के करीबियों से सिंधिया की मेल-मुलाकात के क्या हैं मायने?

भोपाल, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद के बड़े दावेदार माने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी अंदाज बदलने लगा है। अब वह अपने ही दल में अपने विरोधियों के करीबियों से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। सिंधिया के रुख में आए बदलाव को आगामी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

सिंधिया आमतौर पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में ही ज्यादा सक्रिय हुआ करते थे, मगर अब उनकी सक्रियता राज्य के अन्य हिस्सों में भी बढ़ने लगी है। इतना ही नहीं वह उन नेताओं से भी मेल-मुलाकात करने लगे हैं, जिनसे उनकी दूरी जगजाहिर रही है। उनके ग्वालियर-चंबल संभाग के प्रवास के दौरान भिंड के लहार विधानसभा क्षेत्र से विधायक और राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के निवास पर रात्रि भोज खासा चर्चा में है।

डॉ. सिंह की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री और सिंधिया की राह के सबसे बड़ा कांटा दिग्विजय सिंह के करीबियों में होती है। सिंधिया भिंड प्रवास के दौरान डॉ. सिंह के निवास पर पहुंचे और वहीं रात्रि का भोज किया। इससे पहले डॉ. सिंह ने पिछले दिनों दिल्ली में सिंधिया से मुलाकात की थी।

सिंधिया ने इससे पहले निमांड-मालवा का दौरा किया था। उस दौरान भी उन्होंने अपने विरोधी नेताओं के करीबियों में शामिल विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, विनय बाकलीवाल और पंकज संघवी के निवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी। अब उनकी दिग्विजय सिंह के करीबी के निवास पर जाना नए सियासी गणित का हिस्सा माना जा रहा है।

राज्य में कांग्रेस खुले तौर पर तो गुटों में बंटी नजर नहीं आती, मगर अंदरखाने अब भी गुट मौजूद हैं। सिंधिया के अलावा दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अरुण यादव, सुरेश पचौरी के समर्थकों के गुट हैं। ये सभी इस कोशिश में हैं कि नया अध्यक्ष उनके गुट का ही हो।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है, “राज्य में सिंधिया के समर्थकों की पर्याप्त संख्या है। वह युवाओं का सबसे चहेता चेहरा हैं। पार्टी उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। उनके लगातार हो रहे दौरों और विरोधी गुट के नेताओं से मेल-मुलाकात को भी उसी का हिस्सा माना जा सकता है। वैसे सिंधिया की राजनीति करने की कभी भी यह शैली नहीं रही कि वह कांग्रेस के भीतर ही उनका विरोध करने वाले नेताओं के करीबियों से मिलें। मगर अब ऐसा हो रहा है। हो सकता है कि पार्टी हाईकमान ने ही उन्हें सबसे मेल-मुलाकात करने को कहा हो।”

राज्य में नए प्रदेशाध्यक्ष के जो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें सबसे प्रमुख नाम सिंधिया का माना जा रहा है। क्योंकि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। बीच-बीच में सिंधिया के भाजपा से संपर्क में होने की बातें सामने आती रही हैं, मगर सिंधिया स्वयं इसका खंडन कर चुके हैं।

सिंधिया के अलावा नए अध्यक्ष के दावेदारों में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, राज्य सरकार के मंत्री बाला बच्चन, सज्जन वर्मा, उमंग सिंघार व कमलेश्वर पटेल भी हैं। संभवत: इतने दावेदारों के कारण ही पार्टी इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाई है।