विज्ञप्ति जारी करने हेतू, स्वयंः का आदर्श स्वयंः बने – अभिनेता सुबोध भावे

पुणेः15 फरवरी स्वयंः का आदर्श स्वयंः बने, किसी से भी प्रतियोगिता करने की बजाए वह काम करे जिससे हमे खुशी मिले. यह सलाह प्रसिद्ध मराठी अभिनेता सुबोध भावे ने एमआइटी के इंजिनियरिंग विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में छात्रों को दी|

माईर्स एमआइटी के मेकॅनिकल इंजीनियरिंग विभाग तथा एसोसिएशन ऑफ स्टूडेन्ट्स ऑफ मेकॅनिकल इंजीनियरिंग की ओर से आयोजित ‘अभिनेता के रूप में मेरी यात्रा’ में मराठी अभिनेता सुबोध भावे की मुलाकत प्रा. अतुल कुलकर्णी ने ली|
मुलाखत में विभिन्न पहलुओं को छुते हुए अभिनेता भावे ने बताया, पुणे के बालनाट्य संस्था से अभिनय की शुरूआत हुई| पुरूषोत्तम स्पर्धा करते हुए मेरे भीतर के अभिनेता का मुझे दर्शन हुआ| मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल 12वीं में फेल होना था क्यों कि इसी के चलते मैने रंगमंच को ज्यादा समय दिया और आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं. ‘चंद्रपुरच्या जंगलात’ मराठी नाटक पर कडी मेहनत लेने के बावजूद पुरूषोत्तम में सफलता नहीं मिली| एड्स पर आधारित इस नाटक को जब स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संस्था और जेल में प्रस्तूत करने पर जो अनुभव मिला वहीं मेरे लिए टर्नींग पाईंट बना| संघर्ष के बीना जीवन में कुछ नहीं मिलता इस बात को ध्यान में रखते हुए मैने नौकरी छोडी और अभिनय के लिए मेहनत करने पर सफलता कदम छुने लगी|

‘वैलेटाईन डे’ पर अपनी प्रेम कहानी उजागर करते हुए भावे ने कहा, बालनाटक करते हुए मै 10वीं में था वहीं इंजीनियर बनी मेरी पत्नी मंजिरी उस वक्त 8वीं कक्षा में थी| तब मैने उसे प्रपोज किया. इसके बाद सन 1991 से लेकर आज तक हमारा अफेयर चलता आ रहा है| हमारे दो बच्चों को संभालते हुए मंजिरी अब पूरी तरह से कान्हाज प्रोडक्शन की जिम्मेदारी संभालते हुए सृजनात्मक कार्य कर रही है|

बालगंधर्व और लोकमान्य जैसी फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाने के बाद सुबोध भावे ने कट्यार काळजात घुसली फिल्म के जरिए निर्देशन की जिम्मेदारी भी सफलतापूर्वक संभाली है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में विशेष रूची होने से पं.भीमसेन जोशी, जितेंद्र अभिषेकी बुवा, राहुल देशपांडे और महेश काले के गायन रोज सुनता हूं| मुझे खेद बस इस बात है कि बचपन में मैने संगित का अध्ययन नहीं किया।

विभिन्न विषयों के उपन्यास में विशेष रूचि होने से राजन खान, विश्‍वास पाटिल, सुहास शिरवलकर जैसे लेखकों के किताबे पढते हुए खुशी मिलती है| जिससे हमारे विचारों को गति मिलने के साथ आगे बढने के लिए हमें प्रेरित करती है।
इस मौके पर एमआइटी ग्रूप ऑफ इन्स्टीट्यूट के संस्थापक विश्‍वस्त प्रा. प्रकाश जोशी, एसोसिएशन ऑफ स्टूडेन्ट्स ऑफ मेकॅनिकल इंजीनियरिंग के सचिव रितेश देवकर, प्रा.डॉ. सुहासिनी देसाई तथा प्रा. सुधीर राणे उपस्थित थे।

सोशल मीडिया झूठ है| जिस पर किसी भी तरह की टिप्पणी होती है| जिसका समाज पर बूरा असर ही पडता है| मेरी दृष्टी से देश में बनाए गए कानूनों का पालन नहीं करनेवाला ही दहशतवादी है रोजमर्रा के जीवन में साधारण नियमों का पालन करने के बावजूद भी सबका जीवन सूखमय बनेगा सभी ने सिग्नल के नियमों का पालन करने के बाद कई तरह की विपरीत हानी को टाल सकते है|